Ravi Shastri on Most Influential Cricketer of Last Decade: क्रिकेट जगत विराट कोहली के अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की खबर से शोक में डूबा हुआ है. भारत के अब तक के सबसे सफल रेड-बॉल कप्तान कोहली ने 68 टेस्ट मैचों में से 40 में जीत दर्ज की और 123 टेस्ट में 46.85 की औसत से 9,230 रन बनाकर देश के लिए चौथे सबसे अधिक रन बनाने वाले बल्लेबाज के रूप में अपना करियर समाप्त किया. टीम इंडिया के पूर्व हेड कोच रवि शास्त्री ने कोहली के विकास को बहुत करीब से देखा है. उन्होंने 36 वर्षीय विराट को पिछले एक दशक का सबसे प्रभावशाली क्रिकेटर बताया है.
कोहली की तुलना जब सचिन तेंदुलकर और सुनील गावस्कर से की गई तो शास्त्री ने इन बातों को नजरअंदाज करते हुए कहा कि विराट ने इस बात को बदल डाला कि भारत क्रिकेट कैसे खेलता है. रवि शास्त्री ने स्पोर्टस्टार से बात करते हुए कहा, “मुझे तुलना करना पसंद नहीं है. मुझसे गावस्कर और तेंदुलकर के बारे में पूछा गया है. मुझे उनके साथ ड्रेसिंग रूम साझा करने का सौभाग्य मिला. लेकिन विराट को मैंने एक अलग नजरिए से देखा है. किसी कमेंट्री बॉक्स की आरामदायक सीट से नहीं बल्कि उस ड्रेसिंग रूम के घुटन भरे दबाव में जहां असली तस्वीर बनती है. मैंने उसे क्रिकेट खेलने नहीं, बल्कि मैदान पर राज करने जाते देखा. उसने न केवल मैच जीते, बल्कि इस बात को ही बदल दिया कि भारत क्रिकेट कैसे खेलता है.”
विराट की पॉजिटिव सोच भारत की सफलता की कुंजी
शास्त्री और कोहली के बीच एक मजबूत बांड 2017 से 2021 के बीच बना, जब शास्त्री हेड कोच और कोहली कप्तान थे. इस दौरान भारत लगभग 3.5 वर्षों (करीब 42 महीनों) तक टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष पर रहा. शास्त्री ने इस सफलता का श्रेय कोहली की बल्लेबाज़ी और कप्तानी को दिया जो भारतीय टीम की मजबूती की नींव थी. शास्त्री ने आगे कहा, “टेस्ट जीत की रणनीति बनाना रोमांचक था. उनकी बल्लेबाजी फॉर्म इस अभियान के लिए सबसे अहम थी, लेकिन बात सिर्फ कोचिंग, रन बनाने या विकेट लेने की नहीं थी. सपोर्ट स्टाफ के बेहतरीन काम को भी श्रेय दिया जाना चाहिए, जिसने भारत को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग टीम बना दिया. यह एक सामूहिक प्रयास था, लेकिन विराट की पॉजिटिव सोच भारत की सफलता की कुंजी थी. वह जिस तरह से हर खिलाड़ी की जिम्मेदारी खुद उठाता था, वह अविश्वसनीय था.”
विराट कोहली का टेस्ट कैरियर का उतार चढ़ाव
अगर आंकड़ों की बात करें तो, विराट ने 2011 से 2015 के बीच 41 टेस्ट में 44.03 की औसत से 2,994 रन बनाए, जिसमें 11 शतक और 12 अर्धशतक शामिल थे. वहीं 2016 से 2019 के बीच, कोहली के करियर का सबसे शानदार दौर रहा, जब उन्होंने 43 टेस्ट में 66.79 की औसत से 4,208 रन बनाए. इसमें 16 शतक और 10 अर्धशतक शामिल थे. इस दौरान उनका सर्वश्रेष्ठ स्कोर 254* था और उन्होंने 7 दोहरे शतक भी लगाए, जो टेस्ट इतिहास में किसी भी कप्तान द्वारा सबसे ज्यादा हैं. हालांकि, 2020 के बाद से, कोहली का फॉर्म गिर गया और उन्होंने 39 टेस्ट में केवल 2,028 रन बनाए, वो भी सिर्फ 30.72 की औसत से.

आंकड़े नहीं बल्कि जज्बे बनाई मिसाल
शास्त्री ने विराट के बारे में आगे कहा, “जो चीज उसे सबसे अलग बनाती थी, वो सिर्फ उसके आंकड़े नहीं थे, बल्कि उसका जज्बा था. हार न मानने का उसका जज्बा, खासकर तब जब सामने दुनिया के बेहतरीन गेंदबाज होते थे. मैं कभी नहीं भूल सकता 2014 में मेलबर्न में मिचेल जॉनसन के साथ उसका जुबानी टकराव. लंच ब्रेक के दौरान वह लगातार ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज को उकसा रहा था. दोनों एक-दूसरे को घूर रहे थे, लेकिन मैं देख सकता था कि विराट की आक्रामकता ने ऑस्ट्रेलियाई खेमे को एक सख्त संदेश दिया कि अब लड़ाई होगी. और वाकई हुई. विराट ने शानदार 169 रनों की पारी खेलकर गेंदबाजों के खिलाफ अपनी लड़ाई जीत ली, भले ही टेस्ट ड्रॉ रहा, लेकिन भारत ने सिर ऊंचा रखकर मुकाबला खत्म किया.”
पर्थ में लगाया गया शतक सबसे ज्यादा प्रभावी
शास्त्री ने आगे बताया, “ऑस्ट्रेलिया में बनाए गए उनके शतकों में से मुझे 2018 में पर्थ में लगाया गया शतक सबसे ज्यादा प्रभावित करता है. वो एक तेज पिच थी, जहां गेंद हवा में उड़ रही थी, लेकिन विराट ने वहां गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं, जबकि ज्यादातर बल्लेबाज उस पिच पर सामान्य से भी नीचे स्तर के दिखे. तेंदुलकर ने भी 1992 में पर्थ में शतक लगाया था, लेकिन तब परिस्थितियां बिल्कुल अलग थीं.”
टेस्ट क्रिकेट के लिए अभी भी दो साल बाकी थे
शास्त्री विराट के जल्दी रिटायरमेंट से दुखी दिखे. उन्होंने कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि विराट के पास टेस्ट क्रिकेट के लिए अभी भी दो साल बाकी थे. मुझे इस गर्मी में इंग्लैंड में उसे खेलते देखना अच्छा लगता. अगर उसे इस दौरे के लिए फिर से कप्तानी दे दी जाती, तो यह भी एक अच्छा फैसला होता, लेकिन वह खुद बेहतर जानता है कि उसने क्यों संन्यास लिया. शायद मानसिक थकावट ने उसे यह निर्णय लेने पर मजबूर किया, क्योंकि शारीरिक रूप से वह टीम के किसी भी अन्य खिलाड़ी जितना ही फिट था. वह अपने शरीर को अच्छे से जानता था, लेकिन आखिरी निर्णय उसके मन ने ही लिया होगा. मैं मानसिक थकावट को ही उसके करियर को इस निर्णायक मोड़ पर रोकने वाला सबसे बड़ा कारण मानता हूं.”

दुनिया का सबसे ज्यादा जांचा-परखा गया बल्लेबाज
रवि शास्त्री ने लेख में आगे बताया, “मेरे लिए, विराट पिछले दशक का सबसे प्रभावशाली क्रिकेटर रहेगा. उसके दुनियाभर में फैन्स थे, खासकर वे लोग जो सिर्फ उसे टेस्ट मैचों में बल्लेबाजी करते देखने आते थे. ऐसा बल्लेबाज़ जो जब चाहे चौका लगा सकता था, और जो विपक्षी टीम के सबसे खतरनाक गेंदबाज को चुनकर उसे जवाब देने में भरोसा रखता था. बिना किसी शक के, वह दुनिया का सबसे ज्यादा जांचा-परखा गया बल्लेबाज था, लेकिन मैदान में लड़ने के लिए सबसे ज्यादा तैयार भी वही था. टेस्ट क्रिकेट को लोगों के लिए देखने लायक बनाना उसका सबसे बड़ा और स्थायी योगदान रहेगा. टीम हमेशा उसकी विकेट गिरने पर की गई जंगली जश्न मनाने की शैली को मिस करेगी और साथी खिलाड़ी की उपलब्धियों पर उसके जज्बे को भी.”
वह एक चैंपियन था, जो एक इंच भी पीछे नहीं हटा
शास्त्री ने अंत में कहा, “वह अभी भी वनडे में भारतीय क्रिकेट की सेवा कर रहा है, लेकिन मैं जानता हूं कि विराट उस दिन क्रिकेट को अलविदा कह देगा जब उसे लगेगा कि अब और खेलना ठीक नहीं. वह न तो कोच बनने वाला है और न ही ब्रॉडकास्टर की भूमिका निभाने वाला व्यक्ति है. मुझे उसकी बहुत याद आएगी जब भारत इंग्लैंड में पहला टेस्ट खेलेगा. वह एक चैंपियन था और मैं उसे ऐसे ही याद रखना चाहता हूं, जो कभी एक इंच भी पीछे नहीं हटा.”
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