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ये कैसी एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी? जहां ट्रॉफी देने न सचिन आए और न सर जेम्स

Anderson Tendulkar Trophy :पहले इंग्लैंड में भारत-इंग्लैंड टेस्ट सीरीज को पटौदी ट्रॉफी और भारत में एंथनी डि मेलो ट्रॉफी कहा जाता था. 2025 से इसका नाम बदलकर एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी रखा गया और पहला संस्करण 2-2 की बराबरी पर खत्म हुआ. लेकिन इस शानदार टूर्नामेंट का बड़ा सवाल है कि ट्रॉफी पर नाम होने के बावजूद सचिन तेंदुलकर और जेम्स एंडरसन प्रेजेंटेशन में क्यों मौजूद नहीं थे?

Anderson Tendulkar Trophy : 2025 से पहले इंडिया की टीम जब इंग्लैंड के टेस्ट सीरीज खेलती तो उसका नाम पटौदी ट्रॉफी हुआ करता था. इसकी शुरुआत 2007 में हुई थी. वहीं इंग्लैंड की टीम भारत में टेस्ट सीरीज खेलती थी तो उसका नाम एंथनी डि मेलो ट्रॉफी होता था. लेकिन इस साल की गर्मियों से यह बदल गया. अंग्रेज धरती पर हुई इंडिया और इंग्लैंड के बीच 2025 में खेली गई पांच मैचों की टेस्ट सीरीज का नाम बदल गया. अब इस सीरीज का नाम है एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी, जिसका पहला संस्करण खेला जा चुका है. सीरीज 2-2 की बराबरी पर समाप्त हुई है, लेकिन सवाल ये है कि जब क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर और दुनिया के सबसे महान टेस्ट पेसर जेम्स एंडरसन के नाम पर जब ये ट्रॉफी है तो ये सीरीज के खत्म होने के बाद ट्रॉफी प्रेजेंटेशन के लिए मंच पर क्यों नहीं थे. क्या यह अपमान नहीं है?

इसी साल जब भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी समाप्त हुई, तो भारत 1-3 से हारकर मायूस था. लेकिन इसी दौरान जिस दिग्गज के नाम पर इस टूर्नामेंट का नाम रखा गया था, उसे ट्रॉफी को विजेता टीम को देने के लिए बुलाया ही नहीं गया. ये कोई और नहीं सुनील गावस्कर ही थे. इसकी उन्होंने शिकायत भी की. खैर, उस समय इस बात का हवाला दिया गया कि यह सीरीज ऑस्ट्रेलिया में हुई है और एलन बॉर्डर मेजबान हैं, तो लिहाजा उन्हें इसका मौका दिया गया. लेकिन इंडिया-इंग्लैंड की एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी के बाद दोनों दिग्गज तो कहीं नजर ही नहीं आए. सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैंस यह सवाल कर रहे हैं और कह रहे हैं कि भारतीय दिग्गज सचिन तेंदुलकर और इंग्लैंड के लीजेंड जिम्मी एंडरसन का ये अपमान है. ज

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ये कैसी एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी? जहां ट्रॉफी देने न सचिन आए और न सर जेम्स 3

लोगों का कहना है कि ट्रॉफी का नाम उनके नाम पर रख दिया, लेकिन उनको वह सम्मान नहीं दिया. ये सीरीज 2-2 से ड्रॉ हुई है तो कम से कम दोनों दिग्गजों को मंच पर होना चाहिए था, जिस तरह दोनों ट्रॉफी के अनावरण के समय साथ में थे. अगर इंग्लैंड की टीम ट्रॉफी जीतती तो जेम्स एंडरसन अकेले मंच पर होते तो भी कोई बात नहीं होती, लेकिन यहां तो दोनों का अपमान हुआ है.

ईसीबी ने बीसीसीआई के साथ मिलकर इस ट्रॉफी का नाम बदल दिया और पटौदी परिवार की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए पटौदी मेडल विजेता टीम के कप्तान को देने का फैसला हुआ, लेकिन हर कोई उस समय हैरान था, जब न तो सचिन तेंदुलकर, न ही जेम्स एंडरसन और न ही पटौदी परिवार का कोई शख्स मंच पर नजर आया. जबकि पटौदी परिवार के नाम पर मेडल भी दिया गया. इंग्लैंड के कप्तान बेन स्टोक्स और भारतीय कप्तान शुभमन गिल अकेले ट्रॉफी के साथ नजर आए, जबकि अन्य सीरीजों में ऐसा नहीं होता है. यह थोड़ा हैरानी भरा फैसला था, लेकिन अब यह हो चुका है, जिसे शायद अगली बार सुधारा जाए. 

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Anant Narayan Shukla
Anant Narayan Shukla
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से परास्नातक। वर्तमानः डिजिटल पत्रकार @ प्रभात खबर। इतिहास को समझना, समाज पर लिखना, धर्म को जीना, खेल खेलना, राजनीति देखना, संगीत सुनना और साहित्य पढ़ना, जीवन की हर विधा पसंद है। क्रिकेट से लगाव है, इसलिए खेल पत्रकारिता से जुड़ा हूँ.

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