Jasprit Bumrah bowed down to Raghvedra Dwivedi: भारतीय टीम इन दिनों इंग्लैंड में वापसी की जंग में उतरने की तैयारी कर रही है. एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी में भारत 1-2 से पिछड़ रहा है. लॉर्ड्स में भारतीय धुरंधरों को एक संघर्षपूर्ण, लेकिन नजदीकी मुकाबले 22 रनों से हार झेलनी पड़ी. अब टीम इंडिया इंग्लिश टीम के खिलाफ 23 जुलाई से मैनचेस्टर में उतरेगी. इसके लिए सभी खिलाड़ी मैदान पर पसीना बहा रहे हैं. इसी नेट सेशन के दौरान एक फोटो आई, जिसमें जसप्रीत बुमराह किसी के सामने झुककर नमस्ते करते दिख रहे हैं. आखिर कौन हैं ये दिग्गज, जिसके सामने बुमराह इतना सम्मान देते दिखा रहे?
जब भारत ने 2024 टी20 वर्ल्ड कप जीता, तो मैदान पर एक शख्स चुपचाप माथे पर कुमकुम लगाए खड़ा था. यह शख्स थे राघवेंद्र द्विवेदी, जो कर्नाटक के रहने वाले हैं. उनका जीवन संघर्ष, जुनून और टीम इंडिया की सफलता में उनकी अहम भूमिका की मिसाल है. राघवेंद्र का टीम इंडिया के प्रति समर्पण और खिलाड़ियों के लिए उनकी निष्कपट मेहनत और किसी भी क्षण सहायता करने का संकल्प और जुझारुपन ही बुमराह जैसे दिग्गजों को भी उनके सामने झुकने पर मजबूर कर देता है.

शुरुआती संघर्ष और अडिग संकल्प
करीब 24 साल पहले, उत्तर कन्नड़ जिले के कुमटा कस्बे से एक युवा लड़का सिर्फ 21 रुपये लेकर निकला था. उसका सपना था क्रिकेटर बनना. लेकिन हाथ में आई एक गंभीर चोट ने इस सपने को तोड़ दिया. हालांकि, उसने हार नहीं मानी और क्रिकेट की दुनिया में किसी भी रूप में जगह बनाने की ठान ली. राघवेंद्र के पिता उनके क्रिकेट प्रेम के सख्त खिलाफ थे. हालात ऐसे बने कि राघवेंद्र ने परिवार, आराम, और हर सुविधा को छोड़कर क्रिकेट को चुन लिया. वे हुबली पहुंचे, जहां उन्होंने बस स्टैंड, मंदिर और श्मशान घाट में रातें गुजारीं. तकरीबन साढ़े चार साल तक उन्होंने एक श्मशान में खाली पड़ी इमारत को अपना घर बना लिया. सर्द रातों में एक पुरानी क्रिकेट मैट ही उनकी चादर होती थी.
मुश्किलों से मिला नया मोड़
इन तमाम परेशानियों के बावजूद क्रिकेट के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ. उन्होंने हुबली में अभ्यास कर रहे क्रिकेटरों को नेट्स में थ्रोडाउन देना शुरू किया. उनकी मेहनत और लगन ने एक दोस्त को प्रभावित किया, जिसने उन्हें बेंगलुरु भेजा. बेंगलुरु में उन्हें कर्नाटक इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिकेट में मौका मिला, जहां वे खिलाड़ियों को थ्रोडाउन देते और बॉलिंग मशीन संभालते. यहीं से उनकी असली पहचान बनने लगी. पूर्व कर्नाटक विकेटकीपर और मौजूदा अंडर-19 चयन समिति प्रमुख तिलक नायडू ने राघवेंद्र की मेहनत को पहचाना और उन्हें जवागल श्रीनाथ से मिलवाया. श्रीनाथ भी उनके समर्पण से प्रभावित हुए और उन्हें कर्नाटक रणजी टीम में शामिल होने का मौका मिला. यहीं से उनकी जिंदगी में असली बदलाव शुरू हुआ.

राष्ट्रीय स्तर पर पहचान
इसके बाद राघवेंद्र ने नेशनल क्रिकेट एकेडमी (NCA) में काम शुरू किया, जो चिन्नास्वामी स्टेडियम के पास स्थित है. शुरुआत में उन्होंने कई सालों तक बिना वेतन के काम किया और कई बार तो भूखे पेट भी दिन गुजारे. लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी. आखिरकार उन्होंने BCCI का लेवल-1 कोचिंग कोर्स पूरा किया और भारतीय खिलाड़ियों के बीच लोकप्रिय हो गए. उनकी असली काबिलियत को पहचान मिली सचिन तेंदुलकर के जरिए, जिनकी सिफारिश पर राघवेंद्र को 2011 में भारतीय क्रिकेट टीम के साथ ट्रेनिंग असिस्टेंट के रूप में शामिल किया गया.
टीम इंडिया की रीढ़- ‘रघु भाई’
पिछले 13 वर्षों से राघवेंद्र, जिन्हें सभी प्यार से ‘रघु’ कहते हैं, भारतीय टीम का अभिन्न हिस्सा हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक बतौर थ्रोडाउन स्पेशलिस्ट, उन्होंने अब तक नेट्स में 10 लाख से भी ज्यादा गेंदें फेंकी हैं. उनकी स्पीड और एक्युरेसी इतनी जबरदस्त है कि वे 150 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से गेंदें फेंकते हैं. विराट कोहली ने एक बार कहा था, “नेट्स में रघु की 150 किमी/घंटा की गेंदें खेलने के बाद मैच में सबसे तेज गेंदबाज भी मीडियम पेसर लगते हैं.”
Virat Kohli once said, "facing Raghu's 150kmph deliveries in the nets makes the fastest bowlers seem like medium pacers during matches."
— Mufaddal Vohra (@mufaddal_vohra) July 2, 2024
– Raghu, Team India's Throwdown Specialist! pic.twitter.com/pPYSDfEvmZ
रघु का योगदान अक्सर पर्दे के पीछे छिपा रह जाता है, लेकिन उनकी मौजूदगी भारतीय क्रिकेट टीम की तैयारी और सफलता में अहम भूमिका निभाती है. उन्हें दुनिया के सर्वश्रेष्ठ थ्रोडाउन विशेषज्ञों में गिना जाता है. राघवेंद्र की कहानी इस बात का प्रतीक है कि हर बड़ी जीत के पीछे कुछ ऐसे लोग होते हैं, जिनका योगदान भले ही सामने न दिखे, लेकिन वो अमूल्य होता है. शायद बुमराह जैसा खेल असल मैदान पर दिखाते हैं, रघु वैसा नेट्स पर दिखाते होंगे. भारतीय क्रिकेट के संस्कार और उसके लिए समर्पित दिग्गजों के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका बस यही इस तस्वीर की खूबसूरती है; एक GOAT दूसरे लीजेंड को सम्मान दे रहा है.
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