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Bihar: प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर से लैस होगा पटना मेट्रो, टनल-ट्रैक के साथ स्टेशन का फीचर आया सामने

Bihar: पटना मेट्रो ट्रैक पर दुर्घटना की आशंका को रोकने के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगाये जायेंगे. यह उत्कृष्ट सुरक्षा उपकरण से लैस होंगे. पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट के अधिकारी पीएसडी को अपनाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

Bihar:पटना. पटना मेट्रो रेल प्रोजेक्ट की ओर से प्रस्तावित प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) को अपनाने के लिए पूरी तरह तैयार है. मेट्रो ट्रैक पर दुर्घटना की आशंका को रोकने के लिए पटना मेट्रो के ट्रेनों में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर लगाये जायेंगे. यह उत्कृष्ट सुरक्षा उपकरण से लैस होंगे. दिल्ली मेट्रो रेल कॉपोरेशन अधिकारियों के मुताबिक मेट्रो के एलिवेटेड स्टेशनों पर आधी ऊंचाई वाले, जबकि अंडरग्राउंड मेट्रो स्टेशनों पर पूरी ऊंचाई वाले पीएसडी लगेंगे. मेट्रो ट्रेनों में पीएसडी प्रणाली न केवल लागत प्रभावी होगी बल्कि मेट्रो स्टेशनों पर बेहतर सुरक्षा सुनिश्चित करेगी. ये उत्कृष्ट सुरक्षा उपकरण से लैस होगी. मेट्रो के एलिवेटेड स्टेशनों पर आधी ऊंचाई वाले पीएसडी होंगे, जबकि भूमिगत मेट्रो स्टेशनों पर पूरी ऊंचाई वाले पीएसडी होंगे.

प्लेटफॉर्म पर लगेंगे स्क्रीन डोर

मेट्रो अधिकारियों ने बताया कि प्लेटफॉर्म को ट्रैक से अलग करने के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) का उपयोग किया जाता है. मेट्रो में पीएसडी दरवाजे तभी खुलते हैं, जब ट्रेन अपने निर्धारित स्थान पर रुकती है. पीएसडी का नियंत्रण प्लेटफॉर्म की पूरी लंबाई के साथ तारतम्य में होता है. ट्रेन में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर दुर्घटनाओं को रोकने व ट्रैक पर सामान गिरने से रोकने में सहायक होंगे. इन स्क्रीन डोर में लगे उत्कृष्ट सुरक्षा उपकरण ट्रैक पर गिरने से रोकने के लिए फिजिकल बैरियर के रूप में कार्य करेंगे. डीएमआरसी अधिकारियों ने बताया कि पीएसडी के उपयोग से प्लेटफॉर्म की चौड़ाई भी बढ़ जायेगी. इससे लोग ट्रैक पर गिरने के खतरे या आने वाली ट्रेन से टक्कर के जोखिम के बगैर पीएसडी गेट तक खड़े हो सकते हैं. पीएसडी सिस्टम के साथ ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने की गति को बढ़ाया जा सकता है.

प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) क्या है

प्लेटफॉर्म को ट्रैक से अलग करने के लिए प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) का उपयोग किया जाता है. मेट्रो में पीएसडी दरवाजे तभी खुलते हैं, जब ट्रेन अपने निर्धारित स्थान पर रुकती है. पीएसडी का नियंत्रण प्लेटफॉर्म की पूरी लंबाई के साथ तारतम्य में होता है. वहीं, प्लेटफॉर्म पर मौजूद पीएसडी ट्रेन के दरवाजों के साथ काम करता है. ट्रेन में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर (पीएसडी) दुर्घटनाओं को रोकने और ट्रैक पर सामान गिरने से रोकने में सहायक होंगे. इन स्क्रीन डोर में प्लेटफॉर्म पर उत्कृष्ट सुरक्षा उपकरण लगे होंगे, जो लोगों को ट्रैक पर गिरने से रोकने के लिए फिजिकल बैरियर/अवरोध के रूप में काम करेंगे. ये न केवल मेट्रो की सुरक्षा बढ़ाने और दुर्घटनाओं को रोकने में सहायक होंगे, बल्कि मेट्रो में अधिक भीड़ के समय भीड़ नियंत्रण में भी प्रभावी साबित होंगे.

मेट्रो ट्रेन में प्लेटफॉर्म स्क्रीन डोर फायदे

  • प्लेटफॉर्म की चौड़ाई बढ़ जाएगी, जिससे लोग ट्रैक पर गिरने के खतरे या आने वाली ट्रेन से टक्कर के जोखिम के बगैर पीएसडी गेट तक खड़े हो सकते हैं.
  • पीएसडी सिस्टम के साथ ट्रेन के प्लेटफॉर्म पर आने की गति को बढ़ाया जा सकता है, जिससे ट्रेनों का परिचालन बढ़ेगा.
  • ये दरवाजे किफायती होंगे और भूमिगत स्टेशनों पर इनसे वातानुकूलन के प्रवाह में भी सुधार होगा.
  • एमआरटीएस स्टेशन पर पीएसडी लगाने से ऊर्जा की खपत में बचत होगी और यात्रियों की सुरक्षा में मदद मिलेगी.
  • पीएसडी सिस्टम रोलिंग स्टॉक डोर (मेट्रो ट्रेन) के साथ तारतम्य में काम करता है. लोगों के ट्रेन में चढ़ने और उतरने के समय सुरक्षा सुनिश्चित होती है.
  • ये आधी ऊंचाई (फर्श से 1.5 मीटर ऊपर) और पूरी ऊंचाई (फर्श से 2.15 मीटर ऊपर) तक ट्रैक और प्लेटफॉर्म के बीच बैरियर का काम करता है, जो कि ट्रैक को प्लेटफॉर्म से जहां यात्री खड़े होते हैं, उस क्षेत्र से अलग करने का काम करता है.
  • सामान्यतया भूमिगत और एलिवेटेड स्टेशनों के लिए पूरी ऊंचाई (2.15 मीटर) और आधी ऊंचाई (1.5 मीटर) का पीएसडी सिस्टम की अनुशंसा की जाती है. किसी मेट्रो प्रणाली को स्वचालित में अपग्रेड करने के लिए पीएसडी सिस्टम का होना अत्यंत आवश्यक है.
  • पीएसडी सिस्टम में कई एडवांस फीचर्स और उच्चीकृत सुरक्षा प्रणाली भी आते हैं जैसे ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर्स (एएसडी), इमेरजेंसी एग्जिट डोर्स (ईईडी), प्लेटफॉर्म एंड डोर्स (पीईडी), इमेरजेंसी एस्केप डोर्स (ईईडी), प्लेटफॉर्म पर्यवेक्षण बूथ और अलार्म टर्मिनल, एचएमआई (चालक हेतु सूचना उपकरण), इमेरजेंसी की बॉक्स, जो यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं.
Ashish Jha
Ashish Jha
डिजिटल पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्षों का अनुभव. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश. वर्तमान में पटना में कार्यरत. बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को टटोलने को प्रयासरत. देश-विदेश की घटनाओं और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स को सीखने की चाहत.

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