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Araria: जेल में बंद आरोपी ने की जान देने की कोशिश, परिजनों ने प्रशासन पर लगाए गंभीर आरोप 

Araria News: अररिया के मंडल कारागार में एक बंदी ने गले में फंदा लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. मधेपुरा के रहने वाले सुधीर को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया. मामले में प्रशासन पर गंभीर सवाल उठाए जा रहे हैं. 

मृगेंद्र मणि सिंह/अररिया/बिहार: अररिया मंडल कारागार में एक अंडर ट्रायल बंदी गले में फंदा लगाकर आत्महत्या करने का असफल प्रयास ने जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. मधेपुरा जिला के रहने वाले सुधीर राम (48), जो जोगबनी थाना कांड संख्या 65/25 के तहत 15 जून 2025 से जिला मंडल कारागार में बंदी है. उसने बुधवार को गले में फंदा लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया. समय रहते जेल प्रशासन की नजर पड़ने पर सुधीर को तुरंत सदर अस्पताल अररिया पहुंचाया गया. 

डॉक्टरों ने भागलपुर रेफर किया 

प्राथमिक उपचार के बाद उसके गंभीर स्थिति को देखते हुए चिकित्सकों ने उसे बेहतर इलाज के लिए भागलपुर मेडिकल सेंटर रेफर कर दिया है. मामले को लेकर कारागार अधीक्षक सुजीत कुमार झा ने बताया कि बंदी सुधीर राम ने जेल परिसर में गले में फंदा लगाकर आत्महत्या करने की कोशिश की. जेल कर्मियों की नजर पड़ने पर फौरन तत्परता दिखाते हुए बंदी को सदर अस्पताल पहुंचाया गया. 

डॉक्टर ने क्या कहा ? 

अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ पंकज कुमार सिंह ने बताया कि कैदी की हालत काफी गंभीर है. उसे वेंटिलेटर की आवश्यकता थी. जिस कारण उक्त बंदी को हायर सेंटर रेफर किया गया है. इधर जेल प्रशासन ने बताया कि सुधीर राम के बिस्तर के नीचे एक पत्र भी मिला है. जिसमें पारिवारिक समस्याओं का जिक्र है. मिले पत्र की सत्यता की जांच की जा रही है. इस घटना ने जेल प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था व निगरानी पर सवाल उठाये हैं.

प्रशासन पर उठे गंभीर सवाल 

घटना की जानकारी मिलने पर जन जागरण शक्ति संगठन के आशीष कुमार रंजन ने मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि अररिया जेल में इस तरह की घटनाएं बार-बार हो रही हैं. उन्होंने हाल ही में पलासी थाना क्षेत्र के मो सोहराब की जेल में संदिग्ध मौत का जिक्र करते हुए कहा कि जेल प्रशासन हर बार बीमारी या आत्महत्या का हवाला देता है. लेकिन जमीनी हकीकत सामने नहीं आती है. 

बीते दिनों हुई हैं कई घटनायें 

अररिया मंडल कारागार में हाल के कुछ सालों में कैदियों की संदिग्ध मौतें व आत्महत्या के प्रयासों की घटनाएं बढ़ी हैं. गत अप्रैल 2025 में मो सोहराब की जेल में मौत के बाद उनके परिजनों ने जेल प्रशासन पर मनमानी का आरोप लगाया था. फिलहाल जेल प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है व बंदी सुधीर राम के मिले पत्र के सत्यता की पड़ताल की जा रही है.

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जस का तस बना हुआ है सोहराब मामला 

सोहराब मामले में भी जिला प्रशासन द्वारा टीम गठित की गई थी लेकिन मामला जस का तस बना हुआ है. आशीष रंजन ने सवाल उठाया कि जेल के अंदर कैदी को फांसी का फंदा कहां से मिला व जेल प्रशासन की निगरानी में इतनी बड़ी चूक कैसे हो रही है. उन्होंने कहा कि लगातार अररिया जेल व पुलिस कस्टडी में गरीब कैदी लोगों की मौत हो रही है. छोटे-मोटे अपराधों में पकड़े गये लोगों के साथ जेल में कुछ ऐसा हो रहा है. जिससे उनकी जान जा रही है. आशीष रंजन ने इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने सूबे के सरकार से आग्रह किया है कि अररिया जेल में हो रही संदिग्ध घटनाओं की जांच के लिए एक स्वतंत्र कमीशन टीम गठित की जाये. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि समय रहते इसपर कार्रवाई नहीं की गई, तो भविष्य में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं. 

Nishant Kumar
Nishant Kumar
निशांत कुमार पिछले तीन सालों से डिजिटल पत्रकारिता कर रहे हैं. दैनिक भास्कर (बक्सर ब्यूरो) के बाद राजस्थान पत्रिका के यूपी डिजिटल टीम का हिस्सा रहें. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल के बिहार टीम में काम कर रहे हैं. देश-विदेश की कहानियों पर नजर रखते हैं और साहित्य पढ़ने-लिखने में रुचि रखते हैं.

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