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मां शैलपुत्री की हुई पूजा-अर्चना

दुर्गा मंदिर में सुबह से ही लगी रही श्रद्धालुओं की भीड़

कुर्साकांटा. प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न दुर्गा मंदिरों के साथ चंडी स्थान में रविवार को विधि-विधान पूर्वक कलश स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना की गयी. पंडित गणेश झा ने बताया कि नवरात्र के प्रथम दिन शक्ति की शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है. माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है. इस दिन विधि विधान से पूजा करने से मनोकामना पूर्ण होती है. साथ ही कष्टों से छुटकारा मिलता है. शैलपुत्री की पूजा से मूलाधार चक्र जागृत होता है, जो स्थिरता व सकारात्मकता प्रदान करती है. इधर चंडी स्थान पगडेरा के ललन झा ने बताया कि मां शैलपुत्री का स्वरूप अत्यंत शांत, सरल, सुशील व दया करुणा से परिपूर्ण होता है. मां का स्वरूप दिव्य व आकर्षक है. उसके दाएं हाथ में त्रिशूल व बाएं हाथ में कमल का पुष्प शोभायमान है. जो मां के अदभुत व शक्ति से भरे स्वरूप का प्रतीक है. मां शैलपुत्री का तपस्वी स्वरूप अत्यंत ही प्रेरणादायक है. इधर चैत्र नवरात्र शुरू होते ही घड़ी, घड़ियाल, मृदंग की आवाज के साथ कर्णप्रिय भजन से प्रखंड क्षेत्र का वातावरण भक्तिमय बना रहा.

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नववर्ष पर बच्चों ने दिया जागरूकता संदेश

:14- प्रतिनिधि, जोकीहाट

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा सह हिंदू नववर्ष का रविवार को शुभारंभ हुआ. इस अवसर पर सरस्वती शिशु मंदिर जहानपुर में उत्सव का धूमधाम से आयोजन किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रधानाचार्य अभिषेक कुमार ने किया. जबकि संचालन रूबी कुमारी ने की. इस अवसर पर हाथों में झंडे लिये भैय्या बहनों ने नारे लगाये व एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं दी. प्रधानाचार्य अभिषेक कुमार ने बताया कि चैती नवरात्र का शुभारंभ भी इसी दिन होता है. उन्होंने बताया कि सनातन संस्कृति व धर्म दुनिया का सबसे प्राचीन धर्म है. हमें अपनी परंपराओं व मूल्यों को संजोने की आवश्यकता है. अन्यथा हमारी संस्कृति विलीन हो जायेगी. इससे पहले सभी शिक्षक, शिक्षिकाओं व भैया-बहनों ने भगवान राम की पूजा अर्चना करते हुए पुष्पांजलि अर्पित किये व माथे पर तिलक लगाया. मौके पर शिक्षक आभाष रंजन, रूबी कुमारी, पूजा कुमारी सिंहा, सीमा कुमारी सहित अन्य आचार्यगण मौजूद थे.

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महिलाओं ने निकाली कलश शोभायात्रा

सिमराहा. चैती नवरात्र के अवसर पर रविवार को घोड़ाघाट स्थित शिव मंदिर परिसर से कुंवारी कन्याओं व महिलाओं ने कलश शोभायात्रा निकाली. लाल पीले वस्त्र धारण किए. 251 की संख्या में कुंवारी कन्याओं व महिलाओं का दल माथे पर कलश लेकर शिव मंदिर से निकल कर गांव टोले का भ्रमण करते हुए बलुआही धार में जल भरकर घोड़ाघाट पंचायत भवन होकर रामचंद्र स्थान परिसर होते हुए परमान नदी में कलश को विसर्जित किया. इस दौरान गाजे के साथ सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं की टोली साथ चल रहे थे.

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