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मोटे अनाज की खेती से आमदनी तीनों को मिलेगा संबल

मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के प्रयासों में जुटा केवीके

अररिया. कभी हमारे परंपरागत आहार का अभिन्न हिस्सा रहने वाला मोटा अनाज यानी मिलेट्स कुछ दिन पहले तक हमारी थाली ही नहीं हमारे खेत-खलियान से बिल्कुल गायब हो चुका था. लंबे समय तक धान, गेहूं व मक्का जैसी फसलों ने मोटे अनाज को महज लोगों की यादों तक ही सीमित कर दिया था. लेकिन बदलते मौसम, स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता व कम लागत पर बेहतर उत्पादन व आमदनी हासिल करने संबंधी जरूरतों की वजह से अब फिर मोटा अनाज हमारे खेतों में लौटने लगा है. धीरे-धीरे ही सही आम किसान इसकी महत्ता व उपयोगिता के प्रति जागरूक होने लगे हैं.

मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने का हो रहा प्रयास

जिले में भी मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने के लिये ठोस पहल शुरू हो चुकी है. कृषि विज्ञान केंद्र इसमें अग्रणी भूमिका निभा रहा है. कृषि विज्ञान केंद्र अररिया में इन दिनों बड़े पैमाने पर मोटे अनाज की खेती की जा रही है, इसमें सावा व रागी की फसल शामिल है. शुक्रवार को बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर भागलपुर के निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ आरके सुहाने ने कृषि विज्ञान केंद्र का भ्रमण कर परिसर में हो रहे मोटे अनाज की खेती का जायजा लिया. इस क्रम में उन्होंने कहा कि आने वाला समय मोटे अनाज का है व जिले में इसके बेहतर उत्पादन की बेहतर संभावना मौजूद है. उन्होंने कहा कि मोटे अनाज की खेती करने के इच्छुक किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र अररिया तकनीकी सहयोग के साथ-साथ बेहतर किस्मों के बीज उपलब्ध कराकर इस दिशा हर संभव मदद उपलब्ध कराने के प्रति तत्पर है.

मोटे अनाज की खेती के हैं कई फायदे

मोटा अनाज गेहूं व चावल की तुलना में अधिक प्रोटीन, फाइबर, विटामीन व खनिजों से भरपूर होते हैं. कम पानी व खराब मिट्टी में इसकी अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है. जो बदलते मौसम में किसानों के पास एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है. मोटे अनाज मे पाया जाने वाले पोषक तत्व मधुमेह, हृदय रोग व मोटापे जैसी बीमारियों के खतरों को कम करता है. यह कम लागत पर बेहतर उत्पादन देने में सक्षम होता है. इसकी खेती में रासायनिक उर्वरक व कीटनाशकों की जरूरत कम होती है. इससे मिट्टी व पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होता. यह बच्चे व किशोरों में कुपोषण को दूर करने में काफी सहायक है. मोटे अनाज को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से जिले में तकनीकी मार्गदर्शन, गुणवत्तापूर्ण बीज वितरण व बाजार से जुड़ाव को मजबूत किया जा रहा है. डॉ सुहाने ने बताया कि इन प्रयासों से न सिर्फ जिले की कृषि अर्थव्यवस्था को नई दिशा मिलेगी. म लोगों के भोजन की थाली भी अधिक पोषणयुक्त हो सकेगा. कृषि विज्ञान केंद्र जिले के किसानों को उच्च उत्पादकता वाले प्रभेद प्रत्यक्षण करायेगा. ताकि जिले के किसान न सिर्फ बदलते मौसम के अनुकूल खेती कर सकें, बल्कि अधिक मुनाफा भी हासिल कर सकें.

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