आरा. हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वावधान में उपन्यास सम्राट प्रेमचंद की जयंती मनायी गयी. कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्मेलन के अध्यक्ष सीनेटर प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने की. सम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉक्टर नंद जी दुबे ने स्वागत भाषण किया. संचालन पंडित मधेश्वर नाथ पांडेय, राकेश कुमार तिवारी और धन्यवाद ज्ञापन शिवदास सिंह ने किया. समारोह को संबोधित करते हुए प्रोफेसर बलिराज ठाकुर ने प्रेमचंद को नवयुग का निर्माता और भाषा का सृष्टा बताते हुए कहा कि उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय चेतना को बढ़ावा दिया गया है. प्रेमचंद का वैचारिक चिंतन स्वाधीनता आंदोलन से जुड़ा हुआ है. भोजपुरी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर दिवाकर पांडेय ने कहा कि वे हाशिये पर खड़ी मनुष्यता के पक्ष में पूरी ईमानदारी के साथ खड़ा होने वाले कथाकार हैं. सम्मेलन के प्रधानमंत्री डॉ नंद जी दुबे ने स्वागत भाषण करते हुए कहा कि प्रेमचंद के उपन्यास और कहानियां सामाजिक एवं सोद्देश्य है. वह एक गंभीर विचारक हैं तथा उनकी रचनाओं में समाज सुधार की स्पष्ट वकालत की गई है. कवि समीक्षक जितेंद्र कुमार ने कहा कि हिंदी कथा साहित्य को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित करने का श्रेय प्रेमचंद को प्राप्त है. डॉ सत्यनारायण उपाध्याय ने विस्तार से प्रेमचंद के जीवन पर प्रकाश डाला. कार्यक्रम में शशिकांत तिवारी, नथुनी पांडेय, केशव प्रसाद ठाकुर, डॉ रेनू मिश्र, रमेश सिंह राम प्रपन्न, शरद कुमार सिंह, राम सुंदर सत्यार्थी, सत्यनारायण राय, ममता मिश्रा कई लोगों ने भाग लिया.
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