आरा. लगभग 30 लाख से अधिक की लागत से महज 20 दिन पहले बनायी गयी थी पुरानी पुलिस लाइन से चंदवा मोड की सड़क. पहले से भी हो गयी खराब. लगभग 20 दिन पहले पुरानी पुलिस लाइन से चंदवा मोर सड़क को पिच किया गया था. हालांकि बरसात का मौसम पहले ही शुरू हो गया था. इसके बावजूद इस सड़क पर पिच करने का काम विभाग द्वारा किया गया परिणाम यह हुआ कि 20 दिन के बाद कौन कहे 10 दिन बाद ही सड़क पूरी तरह टूट गयी कई जगह खतरनाक गड्ढे बन गये हैं. वाहनों का चलना मुश्किल हो गया है. पैदल यात्रियों का भी चलना मुश्किल हो गया है. गड्ढों में लगातार पानी भरे हुए हैं. इसे विभाग की लापरवाही या लूट खसोट की संस्कृति कहा जाये इसे आसानी से समझा जा सकता है. आश्चर्य की बात यह है कि सड़कों का निर्माण बरसात में ही क्यों किया जाता है. इसके पीछे निहितार्थ क्या है? नगर की लगभग सभी सड़कों की स्थिति यह है कि सड़कों में एवं गड्ढों में अंतर करना मुश्किल हो गया है. गड्ढों में सड़के हैं या सड़कों में गड्ढे हैं. इसे समझना मुश्किल हो गया है. सड़के विकास के महत्वपूर्ण पैमाने में से एक होती हैं. इससे यातायात सुगम होता है और किसी भी तरह के बड़ा या छोटा कार्य करने में सुविधा होती है. ऐसे में सरकार लगातार सड़कों को महत्व देकर इसका निर्माण कर रही है. पर सरकार के नीचे बैठे लोग लगातार गड़बड़ी कर रहे हैं. सड़क निर्माण में लगे संबंधित विभाग के अधिकारी, कर्मचारी व ठेकेदार मिलकर सरकार के उद्देश्य पर पानी फिर रहे हैं. इससे सरकार की मंशा पर पानी फिर रहा है. लोगों की सुविधा पर भी पानी फिर रहा है.
अभियंताओं का नहीं होता है निरीक्षण : सड़कों के निर्माण में निर्माण स्थल पर अभियंताओं का निरीक्षण नहीं होता है. विभाग के कोई भी अधिकारी नहीं पहुंचते हैं. बस मजदूर एवं मिस्त्री ही सड़क का निर्माण करते हैं. ऐसे में सड़कों का समतलीकरण सही नहीं होता है. सड़के ऊंची नीची, टेढ़ी-मेढ़ी बनती हैं. इससे लोगों को वांछित सुविधा नहीं मिल पाती है.
सड़क की चौड़ाई में की जाती है गड़बड़ी : अनियमितता का आलम यह है कि सड़क निर्माण के दौरान निर्धारित चौड़ाई में गड़बड़ी की जाती है. प्राक्कलन के अनुसार निर्धारित चौड़ाई में आधा से एक फीट की कमी कर दी जाती है. इस तरह जमकर लूट खसोट मचाया जाता है. इस कारण सड़कों की स्थिति ठीक नहीं रहती है. वाहनों के संचालन में काफी कठिनाई होती है.
आरा शहर में हैं कुल 33 सड़कें : आरा नगर में कुल 33 सड़के हैं. पर सड़कों की स्थिति काफी खराब है. मुख्यालय में जब सड़के टूटी-फूटी हैं तो अन्य जगहों की स्थिति क्या है. इसे समझा जा सकता है.
नहीं किया जाता है पांच वर्ष मेंटेनेंस के नियम का पालन : सरकार ने लगभग 15 वर्ष पहले किसी भी सड़क के निर्माण को लेकर ठेकेदार द्वारा ही पांच वर्ष तक उस सड़क को मेंटेन करते रहने का नियम बनाया था. प्राक्कलन के समय ही उस राशि को भी शामिल कर दिया जाता है. पर हालात यह है कि पांच वर्ष की बात कौन करें, ठेकेदार द्वारा निर्माण के बाद 1 वर्ष भी सड़कों का मेंटेनेंस नहीं किया जाता है. इससे सड़के टूट जाती हैं. आवागमन में लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है.
चंदवा मोड़ से स्टेशन रोड की सड़क गड्ढों में हो गयी है तब्दील : यही हाल चंदवा मोड़ से स्टेशन रोड की सड़क का है जगह-जगह गड्ढे बने हुए हैं. वाहनों का चलना मुश्किल हो रहा है. कई बार वाहन पलटी भी मार देते हैं. इससे खतरा उत्पन्न हो जाता है. बाइक चालकों को और भी परेशानी होती है. वहीं पैदल यात्रियों को भी परेशानी होती है. इस पर विभाग की लापरवाही साफ दिखायी देती है.
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सड़क पर पानी बहाने वालों पर नहीं होती है कार्रवाई : सड़क पर पानी बहाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. जबकि संबंधित विभाग को सड़क पर पानी बहाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का प्रावधान है.
इन सड़कों की स्थिति है खराब : कृषि भवन के सामने, गिरिजा मोड़ के पास, स्टेशन के पास, पूर्वी गुमटी के पास, बाजार समिति के पास, चंदवा मोड़ से न्यू पुलिस लाइन, बाजार समिति सहित शहर की लगभग 90% सड़कों का यही हाल है. सड़के गड्ढे में तब्दील हो चुके हैं.
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