Aurangabad News: औरंगाबाद में शनिवार को सदर अस्पताल में एक मरीज को एंबुलेंस से नहीं बल्कि ठेला से लाया गया. सड़क दुर्घटना में घायल एक मरीज को इलाज के लिए ठेलेवाले ने इलाज के लिए सदर अस्पताल पहुंचाया. औरंगाबाद में असहाय मरीजों को पहुंचाने के लिए 102 की लगभग डेढ़ दर्जन एंबुलेंस उपलब्ध है, जिन्हें गर्भवती महिला, बुजुर्ग मरीज एवं सड़क दुर्घटना में घायल हुए लोगों को पूरे जिले के सदर अस्पताल लाने एवं बड़े चिकितस्यालयों में निःशुल्क पहुंचाने की जिम्मेवारी सौंपी गई है. इसके अलावे बिहार सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा 112 की 34 टीम को शामिल किया गया है, ताकि जिले में किसी प्रकार की घटना-दुर्घटना होने पर तत्काल संबंधित सरकारी चिकित्सालय में पहुंचाते हुए बेहतर इलाज कराने की समुचित व्यवस्था सौंपी गई है.
कैसे हुआ एक्सीडेंट
शनिवार की दोपहर देव प्रखंड के बहलोला गांव निवासी लाल चौहान अपने परिवार की भरण-पोषण करने हेतु जिला मुख्यालय आया हुआ था. काम नहीं मिलने के एवज में वह वापस अपने घर लौट रहा था. बस पकड़ने के लिए वह पैदल फार्म पर जा रहा था. इसी दौरान शहर के अदरी नदी पुल के समीप एक अनियंत्रित अज्ञात वाहन की चपेट में आने से घायल हो गया. इसके बाद वह घायल अवस्था में ही घटनास्थल पर काफी देर तक पड़ा रहा. इसके बाद घटनास्थल पर स्थानीय लोगों की भीड़ जुट गयी. आसपास के लोगों ने अपने स्तर से सरकारी एंबुलेंस बुलाने के लिए कई प्रयास किया, लेकिन सरकारी एंबुलेंस नहीं मिला. इसके बाद स्थानीय लोगों ने आनन-फानन में एक ठेला पर लादकर उसे इलाज के लिए सदर अस्पताल भिजवाया, जहां के डॉक्टरों ने उसका उपचार किया.
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जा सकती थी जान
ठेले पर घायल को अस्पताल पहुंचाने से साफ हो जाता है कि आम लोगों के प्रति स्वास्थ्य विभाग के एंबुलेंस कर्मी कितनी तत्परता से काम कर रहे हैं और विभाग इस पर कितना ध्यान दे रही है. बड़ी बात है कि जिस जगह पर लाल चौहान दुर्घटना में घायल हुए ठीक उसी जगह से कुछ दूरी आगे शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है और करीब एक किलोमीटर दूर सदर अस्पताल है और कुछ दूरी पर नगर थाना भी है. ऐसी स्थिति में घायल की मदद के लिए नजदीक होने के कारण न तो डॉक्टर पहुंचा और नहीं पुलिस की टीम. घायल को अस्पताल पहुंचाने वाला ठेला चालक ने बताया कि अदरी नदी पूल के समीप यह घायल अवस्था मे मूर्छित पड़ा हुआ था. कुछ लोगों ने ठेला पर लादकर सदर अस्पताल भिजवाया. अगर समय पर ठेलेवाला इलाज के लिए अस्पताल नही भिजवाता तो उसको जान भी जा सकती थी.
(औरंगाबाद से मनीष राज सिंघम की रिपोर्ट)
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