औरंगाबाद/कुटुंबा. केंद्र सरकार के एनएडीसीपी योजना के तहत जिले के विभिन्न प्रखंडों में 655950 पशुओं को खुरहा रोग से बचाव के लिए वैक्सीनेशन किया जाना है. पशुपालन विभाग ने इसकी सारी तैयारी पूरी ली गयी है. पिछले सप्ताह के दो मई से व्यापक पैमाने पर पशु टीकाकरण शुरू कर दिया गया है. यह जानकारी पशु शल्य चिकित्सा पदाधिकारी डॉ श्याम किशोर ने दी है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में टीकाकरण का संचालन बिहार सरकार के पशु स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम के तहत किया जा रहा है. वैक्सीनेशन के मॉनिटरिंग करने के लिए संबंधित प्रखंड के टीवीओ को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. इसके साथ ही 30 अन्य पशु चिकित्सकों को टीकाकरण अभियान की देखरेख करने की जिम्मेदारी सौंपी गयी है. टीका अभियान के दौरान जिले में पांच लाख 90 हजार पशुओं को एफएमडी का पहला खुराक दिया जाना है. इसके एक माह के बाद 65690 पशुओं को पुनः बूस्टर डोज दिया जाना है. उन्होंने बताया कि बूस्टर डोज का वैक्सीनेशन वैसे पशुओं को किया जाना है, जिसे पहली बाद एफएमडी का वैक्सीन लगाया जा रहा है. अधिकारियों ने बताया कि 204 पंचायतों में टीकाकरण करने के लिए 265 प्राइवेट टीकाकर्मी लगाये गये हैं. छोटे पंचायतों में एक व बड़े पंचायतों में दो टीकाकर्मी गाय व भैंस जैसे पशुओं तथा उनके बछड़े को टीका लगायेंगे. पशुओं के टीका लगाने के बाद फिर उन्हें ईयर टैग नंबर डालकर विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करना होगा. जिन पशुपालकों ने अभी तक किसी कारणवश अपने पशुओं को इयर टैगिंग नहीं कराया है, उन्हें अपने पशुओं को ईयर टैगिंग कराना जरूरी है. टीकाकरण कराने के लिए पशुओं के कान में टैग होना चाहिए. अगर टीकाकर्मी अपने मन से बगैर टैग वाले पशुओं को वैक्सीनेशन कर देते हैं, तो उन्हें एक-एक डोज का हिसाब देना होगा. इसके बावजूद उन्हें सभी पशुओं को वैक्सीनेशन करने का निर्देश दिया गया है.
जिला नोडल पदाधिकारी बनाये गये डॉ शैलेंद्र
खुरपक्का व मुंह पक्का एफएमडी टीकाकरण अभियान के मांनीटरिंग करने के लिए भ्रमण पशु चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शैलेंद्र कुमार को जिला नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. इसी तरह से सदर प्रखंड के टीवीओ डॉ संजय कुमार, देव प्रखंड के टीवीओ डॉ रवींद्र नाथ प्रसाद, मदनपुर प्रखंड के टीवीओ डॉ स्वाती शिवानी, हसपुरा प्रखंड के टीवीओ डॉ कुश कुमार, रफीगंज के टीवीओ डॉ सुबोध कुमार, बारूण प्रखंड के टीवीओ डॉ मनोज कुमार, कुटुंबा के टीवीओ डॉ कुमुद मुंडू, दाउदनगर के टीवीओ डॉ संजीत कुमार वर्मा, ओबरा के टीवीओ डॉ श्रृष्टीराज नवीनगर के टीवीओ डॉ प्रिया कुमारी तथा गोह के टीवीओ डॉ मनोज कुमार द्विवेदी को संबंधित प्रखंड के नोडल पदाधिकारी बनाया गया है. जिला नोडल पदाधिकारी ने बताया कि इस बार के एफएमडी का खुराक बिल्कुल सेफ है.अगर पशु पहले से धूप में रह है गया तो उसे छांव में बांधने के कुछ देर के बाद हीं वैक्सीनेशन जाना चाहिए.पशु के शरीर के तापमान अधिक होने की स्थिति में टीका लगाना सही नहीं है.नवीनगर में सबसे अधिक पशुओं को टीकाकरण करने का लक्ष्य
जिले के नवीनगर प्रखंड में सबसे अधिक 75750 पशुओं को खुरहा का प्रथम खुराक व 5100 पशुओं को बूस्टर डोज का वैक्सीनेशन करने का लक्ष्य निर्धारित है. वहीं, नगर पर्षद क्षेत्र औरंगाबाद के अर्वन एरिया में सबसे कम मात्र 7300 पशुओं को प्राइमरी व 800 पशुओं को बूस्टर डोज दिया जाना है. सदर प्रखंड क्षेत्र के ग्रामीण एरिया में 38000 पशुओं को फर्स्ट डोज व 4400 बूस्टर डोज, देव प्रखंड 43600 पशुओं को फर्स्ट डोज 5900 बूस्टर डोज, मदनपुर में 41850 पशुओं को फर्स्ट डोज 5900 बूस्टर डोज, हसपुरा में 29200 पशुओं को फर्स्ट डोज व 4000 बूस्टर डोज, रफीगंज में 71750 पशुओं को फर्स्ट डोज व 7200 को बूस्टर डोज, बारुण में 51300 पशुओं के फर्स्ट डोज व 6200 पशुओं को बूस्टर डोज, कुटुंबा में 45150 पशुओं को फर्स्ट डोज 6000 पशुओं को बूस्टर डोज, दाउदनगर में 59300 पशुओं को फर्स्ट डोज व 6800 पशुओं को बूस्टर डोज, ओबरा में 57500 पशुओं को फर्स्ट डोज व 6300 को बूस्टर डोज, गोह प्रखंड में 69600 पशुओ को फर्स्ट डोज व 7000 पशुओं को खुरहा रोग से बचाव के बूस्टर डोज का टीकाकरण करने का लक्ष्य निर्धारित है.संक्रामक रोग है खुरहा
खुरहा गाय, भैंस, भेड़ बकरी आदि पशुओं में फैलने वाला अत्यधिक संक्रामक रोग है, जो तेजी से पशुओं को आक्रांत कर देता है. खुरहा एफ्थोवायरस अत्यंत सूक्ष्म विषाणु से पनपता है. यह बीमारी दुधारू व गाभीन मादा पशुओं व छोटे बच्चों के लिए अधिक खतरनाक साबित होता है. खुरहा कुछ ही समय में झुंड में पूरे गाय के पशुओं को संक्रमित कर देता है. इससे पशु आयात व निर्यात पर भी काफी असर पड़ता है. खुरहा से आक्रांत पशु दूध देना कम कर देते हैं. संक्रमित पशुओं के दूध पीने से बगैर लक्षण के बछड़ों की अचानक मौत हो जाती है. अगर व्यक्ति खुरहा आक्रांत पशुओं के संपर्क में आने वाले के बाद दूसरे पशुओं में संपर्क में आता है तो यह रोग तेजी से फैलता है. पीड़ित पशुओं को ससमय सटीक उपचार नहीं कराया गया, तो पशुओं के मौत होने की आशंका बनी रहती है.शैलेंद्र कुमार, भ्रमणशील चिकित्सा पदाधिकारी चलंत
सभी तरह के पशुओं को किया जाना है वैक्सीनेशन
गाय-भैंस व उनके बछड़े सभी तरह के पशुओं को खुरहा का वैक्सीनेशन किया जाना है. इस अभियान के वर्ष 2025 तक खुरहा एफएमडी संक्रामक पर नियंत्रण स्थापित कर लेना है. वहीं वर्ष 2030 तक पूर्ण रूप से खुरहा रोग का उन्मूलन करने के लिए सरकार के पशु स्वास्थ्य विभाग संकल्पित है. अभियान के तहत किसी तरह की बीमारी से ग्रसित पशुओं को वैक्सीनेशन नहीं किया जायेगा. पशुपालक अन्य पशुओं को 27 मई तक निश्चित रूप से टीकाकरण कराने का प्रयास करें.डॉ श्याम किशोर, डीएचओ, पशुपालन विभाग
क्या है खुरहा का लक्षण
मुंह से अत्यधिक लार का टपकना
जीभ तलवे व खुर में छाले व जख्म बन जानाजीभ का सतह निकलकर बाहर आ जानाखुरों के बीच में जख्म होने से पशुओं को लंगड़ा कर चलनातेज बुखार के साथ जुगाली करना बंद कर देना
पशुओं के चेहरे पर अचानक मायूसी छाना ये सब खुरहा रोग से आक्रांत पशु के लक्षण है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है