औरंगाबाद/कुटुंबा. झारखंड के पठारी इलाकों में भारी बारिश के चलते उत्तर कोयल नदी गुरुवार को उफान पर आ गयी़ अहले सुबह से ही नदी के ऊपरी हिस्से में अचानक पानी का बहाव बढ़ने लगा और दोपहर होते-होते बाढ़ जैसे हालात बन गये़ वहींए दूसरी ओर, औरंगाबाद जिले के दक्षिणी हिस्से में स्थित किसानों की जीवन रेखा मानी जाने वाली मेन कैनाल (मुख्य नहर) अब भी पानी के लिए तरस रही है़ पलामू जिले के मोहम्मदगंज स्थित भीम बराज में भी बाढ़ का पानी भर गया है़ जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार बराज को सुरक्षित रखने के लिए डाउन स्ट्रीम (नीचे की ओर) के सभी 38 गेट खोल दिये गये हैं, जिससे पानी निचले इलाकों की ओर छोड़ा जा रहा है़ बराज के कार्यपालक अभियंता विनीत प्रकाश ने बताया कि गुरुवार सुबह 10 बजे तक बराज से 40 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया़ उस समय डाल्टेनगंज में कोयल नदी का जलस्तर 1.8 मीटर था, लेकिन दोपहर बाद जलस्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 2.20 मीटर के पार पहुंच गया़ दोपहर 11 बजे तक 22 गेट खोलकर 1.46 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था, जिसे बाद में बढ़ाकर 30 गेटों से 2.14 लाख क्यूसेक तक किया गया़ देर शाम तक नदी का जलस्तर और बढ़ने की संभावना जतायी गयी़
इतिहास में पहली बार जून में आयी बाढ़
जानकारी के अनुसार वर्ष 1992 में भीम बराज में गेट लगाकर कोयल नहर के जरिये औरंगाबाद में सिंचाई की शुरुआत की गयी थी़ तब से अब तक जून महीने में कभी बाढ़ नहीं आयी थी़ वर्ष 2016 में 16 अगस्त की रात नदी में सात लाख क्यूसेक से अधिक पानी पहुंचने पर बाढ़ आयी थी़ वहीं, पिछले वर्ष 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा के दिन 2.79 लाख क्यूसेक पानी के साथ बाढ़ आयी थी़ विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कूटकू डैम में गेट लगा होता, तो मात्र एक दिन के 2.5 लाख क्यूसेक बाढ़ के पानी से जिले के विभिन्न प्रखंडों में 125 दिनों तक फसलों की सिंचाई संभव होती़
मेन कैनाल में अब तक नहीं लग सका गेट, किसान चिंतित
कोयल नहर की रिमॉडलिंग के तहत पुराने ढांचों को हटाकर आधुनिक संरचनाएं तैयार की जा रही है़ नवीनगर डिवीजन क्षेत्र के 107 आरडी और 124 आरडी पर पुल-पुलिया का निर्माण किया गया है, लेकिन मुख्य नहर में कई स्थानों पर अब तक सीआर गेट नहीं लगाये जा सके हैं. खरीफ फसल का मौसम शुरू हो गया है, लेकिन नहर में अब भी पानी का संचालन शुरू नहीं हो पाया है. केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत एजेंसी वाप्कोस की सुस्ती किसानों के लिए चिंता का विषय बन चुकी है. झारखंड के पोरसन अंचल में सोनवर्षा गांव के पास नहर की लाइनिंग का कार्य जारी रहने के कारण संचालन में देरी हो रही है. भारी बारिश के कारण कार्य बाधित भी हुआ है.चीफ इंजीनियर ने दी जानकारी
जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि उत्तर कोयल नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है. बराज को सुरक्षित रखने के लिए 38 गेट खोले गये हैं, जिससे ढाई लाख क्यूसेक पानी नीचे की ओर बहाया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मेन कैनाल के निर्माण के दौरान 107 और 124 आरडी के पास सीआर गेट लगाये गये थे, जिन्हें अब आरसीसी कंक्रीट के तीन गेटों से बदलकर लोहे के फाटक लगाये जा रहे हैं. मौसम साफ होते ही एजेंसी द्वारा फाटक लगाने का कार्य पूरा कर लिया जायेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है