कुटुंबा. अंबा-हरिहरगंज एनएच 139 पथ के एरका सिंचाई कॉलोनी से होकर जगई फॉल तक उत्तर कोयल नहर के तटबंध पर बनी पक्की सड़क पर मिट्टी की मोटी परत जम गयी है. मंगलवार की दोपहर में हुई प्री मॉनसून की बारिश से उक्त पथ कीचड़ से लथपथ हो गया. ऐसे में उक्त क्षेत्र के दर्जनों गांव के लोगों की मुश्किलें काफी बढ़ गयी है. हाल में सड़क से पैदल गुजरने में यात्रियों को दिक्कत हो रही है. यही नहीं बाइक व ऑटो चालक को वाहन परिचालन करना जोखिम से भरा हुआ है. हल्की बारिश में सड़क कीचड़ से पट गयी है. हालांकि, यह सड़क पहले से ही बिल्कुल जर्जर थी, जिससे वाहनों के साथ-साथ पैदल चलना भी असहज प्रतीत होता था. उक्त सड़क पर कॉलेज से लेकर बेलाईं गांव के समीप तक जगह-जगह बड़े-बड़े खतरनाक गड्ढे उभरे थे. हल्की बारिश में सड़क पर जल जमाव हो जाता था. इसके बावजूद यात्री अपनी जान को जोखिम में डालकर यात्रा करते थे. अंबा बाजार में जाम लगने पर देव और औरंगाबाद की ओर जाने के लिए नहर किनारे के सड़क को बाइपास के रूप में उपयोग किया जाता रहा है. वैसे बलिया पंचायत के ढुंडा, देशपुर, पिरजपूर, बजराही, पांडेय बिगहा व रामपुर, जगई आदि गांव के लिए नहर किनारे के सड़क आवागमन करने के लिए मुख्य मार्ग है.
नहर की रिमॉडलिंग के दौरान सड़क पर जमी मिट्टी की मोटी परत
उत्तर कोयल मुख्य नहर के रिमॉडलिंग के दौरान भारी वाहनों हाईवा, टैंकर, जेसीबी, पोकलेन व रेल मशीन के लगातार आवागमन होते रहने से सड़क पूरी तरह से जर्जर हो गयी है. लाईनिंग करने से पहले मुख्य नहर के बेड में सीएनएस कार्य के लिए मिट्टी मोरम व बालू का उपयोग किया जा रहा था. ऐसे में धूल-मिट्टी ने पक्की सड़क को पूरी तरह ढक लिया है. बारिश की हल्की फुहार से यह पथ कीचड़ से भर गयी है, जिससे बाइक चलाना और पैदल चलना असहज प्रतीत हो रहा है. इसकी मुख्य वजह है नहर किनारे के तटबंध पर बनी सड़क जमीन की सतह से तकरीबन 25 फुट ऊंची है. सड़क की बाईं ओर खाई तथा दाईं ओर नहर है, जिसमें खरीफ मौसम में तेज रफ्तार के साथ जल प्रवाह प्रवाहित होते रहता है. ऐसी स्थिति में सड़क से गुजरने के क्रम में बड़ा हादसा से इंकार नहीं किया जा सकता है. पूर्व मुखिया कपिलदेव पांडेय,समाजसेवी राधेकृष्ण पांडेय, रामप्रवेश पांडेय, अमरेश कुमार व रामसागर पांडेय बताते हैं कि यह सड़क मदनपुर, बालूगंज और देव जैसे क्षेत्रों को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण मार्ग है.दो दर्जन से अधिक गांव इस पथ पर निर्भर हैं. प्रतिदिन हजारों लोग इसका उपयोग करते हैं. यदि बारिश से पहले इस सड़क का पुनर्निर्माण या पक्कीकरण नहीं हुआ, तो आवागमन पूरी तरह ठप हो सकता है. इस समस्या के समाधान के लिए प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की ओर से कोई पहल नहीं दिख रही है. स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन सहित वाप्कोस का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए आम जनहित में तत्काल उस मार्ग को सुदृढ कराने की मांग की है.क्या बताते हैं अफसर
जल संसाधन विभाग के चीफ इंजीनियर अर्जुन प्रसाद सिंह ने बताया कि झारखंड क्षेत्र के 103 आरडी से लेकर नहर के अंतिम छोर यानी 77.69 किलोमीटर लंबी दूरी में सड़क का पुर्ननिर्माण किया जाना है. खरीफ मौसम के बाद संभवतः लाईनिंग के साथ सड़क को ग्रेड वन और जेएसबी कार्य शुरू कर दिया जायेगा. इसके लिए वाप्कोस को अधिकृत किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है