कुटुंबा. विश्व पर्यावरण दिवस पर कुटुंबा प्रखंड अंतर्गत चिरैयाटांड़ गांव में आयोजित कार्यक्रम में पर्यावरण को बचाने के लिए एक अनोखा पहल देखने को मिला. अभास्ट्रा टेक्नोलॉजी के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में जहां एक और पौधा का वितरण किया गया वहीं दूसरी ओर पक्षियों को आश्रय देने की उद्देश्य से लकड़ी के बने घोसला का विवरण किया गया. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रखंड प्रमुख धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में वृक्ष नहीं लगाये जा रहे है. आये दिन धरती पर पेड़ों की काफी कमी हो गयी है. इसका असर जन जीवन के साथ जैव विविधता पर गहरा पड़ रहा है. कहा कि पेड़ पौधों की कमी एवं पर्यावरण प्रदूषण से पक्षी की कई प्रजातियां विलुप्त हो गयी है. गौरैया चिड़ियां, कीड़े मकोड़ों के अंडों को ढूंढ़कर खा जाती है, जो एक जगह लाखों की समूह में होते हैं. आए दिन जैसे -जैसे गौरैया की कमी होने से व टिड्डियों और अन्य प्रकार के कीड़ों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. आयोजनकर्ता सुमन शेखर ने बताया कि मुझे पेंड़ पौधे लगाने का बचपन का शौक है. पक्षियों की महत्ता को समझते हुए बताया कि पिछले पांच साल से चिड़ियों के लिए घोसला भी लगा रहा हूं. पर्यावरण बचाने के क्षेत्र में वर्षों से कार्य कर रहे समाजसेवी राजकुमार सिंह ने कहा कि जिस दिन धरती से पेड़ पौधे समाप्त हो जाएंगे जिंदगी भी समाप्त हो जायेगी. कार्यक्रम की अध्यक्षता वशिष्ठ प्रसाद सिंह व संचालन संजीत पांडेय ने किया. इस अवसर पर बमेंद्र सिंह, जगदीशपुर पंचायत के पूर्व मुखिया प्रतिनिधि जयप्रकाश सिंह, पैक्स प्रतिनिधि विनय सिंह, समाजसेवी डॉ मनोज सिंह, समाजसेवी शैलेंद्र कुमार सिंह, विजेंद्र मेहता, बीरेंद्र मेहता, रामाश्रय सिंह, नंदकिशोर सिंह, मुकेश सिंह, अखिलेश सिंह, मुरारी सिंह आदि सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित थे.
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