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बाल विवाह अपराध, पकड़े जाने पर मिलेगा दो साल की सजा व एक लाख रुपये जुर्माना

अनुग्रह कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में लगा विधिक जागरूकता शिविर

अनुग्रह कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में लगा विधिक जागरूकता शिविर प्रतिनिधि, औरंगाबाद शहर. जिला विधिक सेवा प्राधिकार के बैनर तले विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन न्यू एरिया मुहल्ला स्थित अनुग्रह कन्या उच्च माध्यमिक विद्यालय में किया गया, जिसकी अध्यक्षता पैनल अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही की. संचालन विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक राजीव रंजन सिंह ने किया. विधिक जागरूकता कार्यक्रम में गरीबी उन्मूलन के लिए प्रभावी क्रियान्वयन से संबंधित विधिक सेवा प्राधिकार नालसा योजना 2015 पर विधिक जागरूकता और बाल विवाह निषेध अधिनियम पर चर्चा की गयी. अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के अंतर्गत लड़की के विवाह की उम्र 18 और लड़के की उम्र 21 है, जिसमें संशोधन की तैयारी 2021 और 2023 में एक प्रस्ताव में किया गया है. इसमें लड़की की भी शादी की उम्र 21 वर्ष करने का प्रस्ताव है जिसका उद्देश्य महिला और पुरुष की एक समान उम्र सुनिश्चित करना है. उन्होंने कहा कि बाल विवाह एक अपराध है जिसके लिए दो साल की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है. बाल विवाह संज्ञेय और गैर जमानती अपराध है. आशा अभियान के तहत बाल विवाह उन्मूलन के लिए जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. बाल विवाह से प्रभावित बच्चों को पुनर्वास की व्यवस्था है. बताया कि नालसा गरीबी उन्मूलन और न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. लाखों लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता पहुंचायी गयी. जेल में बंद हजारों लोगों को वाद निबटारा और रिहाई के लिए निशुल्क अधिवक्ता मुहैया कराया गया. गरीबों और वंचितों के न्याय की लड़ाई लड़ने में मदद की जाती है. जिला विधिक सेवा प्राधिकार में एक रिटेनर पैनल अधिवक्ता कोर्ट अवधि में निशुल्क प्रति कार्य दिवस विधिक सहायता और मार्गदर्शन करते हैं. विधिक सहायता और सरकारी सहायता के बारे में बताया जाता है. पूर्व पैनल अधिवक्ता सह जिला विधिक संघ कार्यसमिति सदस्य चंद्रकांता कुमारी ने दोनों जागरूकता विषय पर विस्तार से जानकारी दी और कहा कि वैदिक काल से बाल विवाह सुरक्षा के मद्देनजर किया जाता था जो उनके शारीरिक अपरिपक्वता के कारण, अशिक्षा के कारण जिंदगी के लिए काफी नुकसानदायक होती थी और बच्चों के विकास प्रभावित होते थे. इसके कारण बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 बना. प्रधानाचार्य राजीव रंजन सिंह ने कहा कि कम उम्र में शादी से शरीर और भविष्य पर काफी दुष्प्रभाव पड़ता है. निर्धनता से निकलने में शिक्षा और स्वरोजगार एक अमूल्य ताकत है. जिला विधिक सेवा प्राधिकार, लोक अदालत और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का भी गरीबों को लाभ देने में बहुत बड़ा योगदान है. अंत में उपस्थित छात्राओं को न्यायालय, अधिवक्ता, संविधान, मौलिक अधिकार, मौलिक कर्तव्य,लोक अदालत, पॉक्सो एक्ट और किशोर न्याय बोर्ड के बारे में जानकारी दी गई. धन्यवाद ज्ञापन शिक्षक रंजीत कुमार सिंह ने किया. इस मौके पर पारा विधिक स्वयं सेवक दीपमाला कुमारी, अधिवक्ता प्रतिभा कुमारी,शिक्षिका कुमारी सुमन,सोमा सिंह,मनीता कुमारी, ममता कुमारी, अल्पना कुमारी,संविता कुमारी ,बिरबल कुमार सिंह सहित अन्य छात्र-छात्राएं उपस्थित थीं.

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