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किसानों ने अंचल कार्यालय के समक्ष दिया धरना

भारतमाला परियोजना : वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में कम मुआवजा को को लेकर किसानों ने आवाज उठाई

भारतमाला परियोजना : वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे में कम मुआवजा को को लेकर किसानों ने आवाज उठायी अंबा. भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले मंगलवार को किसानों ने कुटुंबा प्रखंड के अंचल कार्यालय के समक्ष धरना दिया. जिला संयोजक वशिष्ठ प्रसाद सिंह के नेतृत्व में धरना की अध्यक्षता एरका निवासी किसान कमला प्रसाद ने की. वहीं धरना कार्यक्रम का संचालन किसान यूनियन के कोषाध्यक्ष राजकुमार सिंह ने किया. इस क्रम में भारतमाला परियोजना के अंतर्गत वाराणसी-कोलकाता ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को लेकर भूमि अधिग्रहण में किसानों को कम मुआवजा दिये जाने व अंचल कार्यालयों में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ किसानों ने आवाज उठाई. कहा कि परिमार्जन प्लस के तहत आवेदन करने पर आंचल कर्मियों द्वारा लूट खसोट की जाती है. जिला संयोजक ने प्रशासन द्वारा बिना मुआवजा दिए भारतमाला परियोजना वाराणसी कोलकाता एक्सप्रेसवे सड़क का निर्माण कार्य शुरू करने पर विरोध जताया.उन्होंने कहा कि एक ही अंचल में कुछ गांवों को अधिक दर से मुआवजा मिल रहा है, जबकि भारतमाला के तहत प्रभावित किसानों को मात्र 8000 रुपये प्रति डिसमिल दिये जा रहे हैं, जो अन्यायपूर्ण है. उन्होंने कहा कि भूमि सुधार मंत्रालय द्वारा भूमि का सात प्रकार से वर्गीकरण कर पुनर्मूल्यांकन के लिए निर्देश प्राप्त हैं. इसके बाद भी जिला एवं प्रखंड के अधिकारियों के उदासीनता के कारण किसानों को अब तक इसका लाभ नहीं मिला है. धारणा को कुटुंबा प्रखंड के अलावा नवीनगर प्रखंड के कई किसानों ने भी संबोधित किया. नवीनगर प्रखंड अंतर्गत पचमो निवासी किसान रवि दुबे ने कहा कि भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना 2022 में हुई है. इसके बाद भी 2012 के सर्किल रेट से तय की जा रही है, जो किसानों के साथ धोखा है. धरना को दर्जनों किसानों ने संबोधित करते हुए अधिकारियों पर किसानों के साथ अन्याय करने का आरोप लगाया. किसान गुप्तेश्वर यादव ने कहा कि व्यवसायिक व आवासीय भूमि को भीठ मानकर बेहद कम मुआवजा दिया जा रहा है, जिससे परिवार के जीवन यापन पर संकट आ गया है. उन्होंने कहा कि यदि उचित मुआवजा नहीं मिला तो आत्मदाह जैसे कदम उठाने को बाध्य होंगें. भूतपूर्व सैनिक नरेंद्र राय ने अंचल कार्यालय की कार्यशैली पर सवाल उठाया. वहीं, राजकुमार सिंह ने कहा कि सरकार उद्योगपतियों के हजारों करोड़ के कर्ज माफ कर देती है, पर किसानों को न्याय देने के नाम पर खामोश है. अगर यही हाल रहा तो किसान सड़क पर उतरकर आर-पार की लड़ाई लड़ने को तैयार हैं. धरना में अरविंद सिंह, अनिल सिंह, भोला पांडेय, गुप्तेश्वर यादव, रवि दुबे, विजेंद्र मेहता, पैक्स अध्यक्ष अभिजीत सिंह, चंदन तिवारी, राम अवध तिवारी, चंद्र मोहन तिवारी, बबन पांडेय, विक्की कुमार, अभय सिंह, जगत सिंह आदि थे.

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