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कारगिल युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैनिक सम्मानित

कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिक सम्मान समारोह व संगोष्ठी सभा आयोजित

कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिक सम्मान समारोह व संगोष्ठी सभा आयोजित

प्रतिनिधि, औरंगाबाद शहर.

जनेश्वर विकास केंद्र एवं पूर्व सैनिक संघ की ओर से शहर के अधिवक्ता संघ भवन में कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिक सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी सभा का आयोजन किया गया. अध्यक्षता साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद ने की. मुख्य अतिथि के रूप में बिहार पूर्व सैनिक संघ के अध्यक्ष टीके सिंह, साहित्यकार सुरेंद्र प्रसाद मिश्रा, ज्योतिषाचार्य शिव नारायण सिंह, पूर्व सैनिक दिलीप सिंह, साहित्य संवाद के अध्यक्ष लालदेव प्रसाद, अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष संजय सिंह, अधिवक्ता संघ के पूर्व अध्यक्ष इंद्रदेव यादव, साहित्यकार रामकिशोर प्रसाद, जनेश्वर विकास केंद्र के अध्यक्ष रामजी सिंह, शिक्षिका सुमन लता ने संयुक्त रूप से दीप जलाकर कार्यक्रम की शुरुआत की. सभी लोगों ने भारत मां के छायाचित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर कारगिल युद्ध में अपनी जान की आहुति देने वाले वीर सपूतों को याद करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किया. लोगों ने हाथ में राष्ट्रीय ध्वज लेकर भारत माता की जय, वंदे मातरम् के जयघोष से शहीदों को याद किया. कारगिल युद्ध में शामिल रहे पूर्व सैनिक टीके सिंह, दिलीप सिंह, महेंद्र सिंह, जितेंद्र सिंह, जेपी सिंह, आरके सिंह, प्रेम कुमार को सभी लोगों ने सम्मानित करते हुए उनका अभिवादन किया. कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में शामिल रहे योद्धाओं का सम्मान किया गया. इन योद्धाओं ने मंच से कारगिल युद्ध के दौरान की अपनी आपबीती साझा की, जिसे सुनकर उपस्थित लोग भावुक हो गये. रामचंद्र सिंह, अशोक सिंह, उज्ज्वल रंजन, वीरेंद्र सिंह सभी लोगों ने अतिथियों का स्वागत कर कार्यक्रम में अभिवादन किया. भोजपुरी गायक सुजीत पाल, रौनक गगन ने अपनी देश भक्ति प्रस्तुति से पूरा माहौल देशभक्ति में कर दिया, तो अपने देशभक्ति काव्य पाठ से कवि लव कुश प्रसाद ने लोगों की तालियां बटोरीं.

गर्व से भर देता है यह दिनसभी वक्ताओं ने कहा कि यह दिन देश के बहादुर बेटों के अदम्य साहस, शौर्य और सर्वोच्च बलिदान की याद दिलाता है. यह दिन न केवल हमें गर्व से भर देता है, बल्कि यह भी याद दिलाता है कि देश की रक्षा के लिए हम सभी को हर तरह की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए. यह अवसर हमें मां भारती के उन वीर सपूतों के अप्रतिम साहस और शौर्य का स्मरण कराता है, जिन्होंने देश के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. मातृभूमि के लिए मर-मिटने का उनका जज्बा हर पीढ़ी को प्रेरित करता रहेगा. कार्यक्रम का संचालन करते हुए सिद्धेश्वर विद्यार्थी ने कहा कि कारगिल युद्ध की शुरुआत 1999 में मई के महीने में हुई थी. पाकिस्तानी घुसपैठियों ने अवैध तरीके से नियंत्रण रेखा को पार कर भारतीय पोस्ट पर कब्जा कर लिया था. इसके जवाब में भारतीय सेना द्वारा ऑपरेशन विजय चलाया गया था. यह युद्ध करीब दो महीने तक चला. भारतीय सेना ने साहस का परिचय देते हुए घुसपैठियों के नापाक इरादों को मिट्टी में मिलाते हुए विजय ध्वज लहराया था. यह दिन हम लोगों के लिए गर्व का दिन है. कला कौशल मंच के अध्यक्ष आदित्य श्रीवास्तव ने कहा कि यह दिन लहू को सम्मान करने का दिन है, जिन्होंने अपने शरीर के लहू को बहाते हुए दुश्मनों के दांत खट्टे करने का काम किया था. मौके पर प्रमोद सिंह, मकसूदन तिवारी, उज्ज्वल रंजन, वीरेंद्र सिंह, अशोक सिंह, लवकुश प्रसाद समेत अन्य कई लोग मौजूद रहे.

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