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2003 की मतदाता सूची में माता-पिता का नाम है, तो नहीं देने होंगे दस्तावेज

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 2003 की मतदाता सूची को ईसीआई वेबसाइट पर अपलोड किया गया है

औरंगाबाद शहर. विधानसभा चुनाव को लेकर भारत निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार मतदाता सूची विशेष गहन पुनरीक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत जिले में मतदाता जागरूकता के लिए कई तरह की गतिविधियां आयोजित की जा रही है. जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी श्रीकांत शास्त्री के कुशल नेतृत्व एवं स्पष्ट निर्देशों के आलोक में स्वीप कार्यक्रम को प्रभावशाली बनाने के लिए परंपरागत माध्यमों के साथ-साथ डिजिटल एवं सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को भी रणनीतिक रूप से जोड़ा गया है, जिससे युवा वर्ग, शहरी मतदाता तथा तकनीक-संवेदनशील वर्गों तक सटीक संदेश प्रभावी ढंग से पहुंचे. सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर को भी स्वीप अभियान से जोड़ा गया है. अपील की गयी कि वे बीएलओ के माध्यम से प्राप्त गणना प्रपत्र को समय पर भरें और मतदाता सूची में अपना नाम शामिल कराने, संशोधित कराने या हटाने के लिए निर्धारित प्रक्रिया का पालन करें. उन्होंने विशेष रूप से युवाओं, महिलाओं, प्रथम बार मतदाता बनने वाले नागरिकों से अपील की कि वे मतदान जैसे लोकतांत्रिक अधिकार का समुचित उपयोग सुनिश्चित करें. डिजिटल प्रयासों का उद्देश्य ऐसे नागरिकों तक पहुंच बनाना है, जो पारंपरिक माध्यमों से जानकारी प्राप्त नहीं कर पाते या जिनमें जागरूकता की कमी पायी जाती है.

2003 की मतदाता सूची ईसीआई वेबसाइट पर अपलोड

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा 2003 की मतदाता सूची को ईसीआई वेबसाइट पर अपलोड किया गया है. जारी निर्देशों के आलोक में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी (सीईओ), जिला निर्वाचन पदाधिकारी (डीईओ) एवं निर्वाचक रजिस्ट्रीकरण पदाधिकारी (ईआरओ) यह सुनिश्चित करेंगे कि एक जनवरी 2003 की अहर्ता तिथि पर आधारित मतदाता सूची सभी बीएलओ को हार्ड कॉपी में उपलब्ध हो और वेबसाइट पर ऑनलाइन भी सुलभ रूप से उपलब्ध हो, ताकि कोई भी व्यक्ति इसे डाउनलोड कर गणना प्रपत्र के साथ दस्तावेज प्रमाण के रूप में प्रस्तुत कर सकें. बिहार की 2003 की मतदाता सूची की यह सहज उपलब्धता राज्य में चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान को काफी सुगम बनायेगी, क्योंकि अब कुल मतदाताओं के लगभग 60 प्रतिशत यानी 4.96 करोड़ लोगों को कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है. उन्हें केवल वर्ष 2003 की मतदाता सूची में अपने विवरण का सत्यापन कर गणना प्रपत्र भरकर जमा करना है. यह विवरण मतदाता व बीएलओ दोनों के लिए ऑनलाइन उपलब्ध है. इसके अलावा यदि किसी व्यक्ति का नाम 2003 की बिहार की मतदाता सूची में नहीं है, लेकिन उनके माता या पिता का नाम उस सूची में है, तो ऐसे मामलों में माता-पिता से संबंधित अन्य कोई दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी. 2003 की मतदाता सूची का केवल प्रासंगिक अंश ही पर्याप्त होगा. ऐसे मतदाताओं को केवल अपने दस्तावेज गणना प्रपत्र के साथ प्रस्तुत करने होंगे. बताया गया कि यह पुनरीक्षण आवश्यक है क्योंकि मतदाता सूची एक जीवंत (डायनामिक) दस्तावेज है, जो मृत्यु, स्थानांतरण (रोजगार, शिक्षा, विवाह आदि कारणों से) तथा 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुके नये मतदाताओं के कारण लगातार परिवर्तित होती रहती है. साथ ही यह भी उल्लेखनीय है कि संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार केवल वही भारतीय नागरिक मतदाता बनने के योग्य हैं जो 18 वर्ष से अधिक आयु के हों और संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में सामान्य रूप से निवास करते हों.

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