देव. देव स्थित प्राचीन सूर्य मंदिर में निरंजना अखाड़ा के पीठाधीश्वर श्री श्री 1008 आचार्य महामंडलेश्वर डॉ स्वामी कैलाशानंद गिरि जी महाराज पहुंचे. यहां सैकड़ों की संख्या में सनातन प्रेमियों ने स्वागत किया. उन्होंने भगवान सूर्य के 11वें रूप का दर्शन पूजन किया. सैकड़ों की संख्या में उपस्थित भक्तगण महाराज जी के चरण छूने को व्याकुल थे. वहीं, सूर्य मंदिर न्यास समिति के सचिव विश्वजीत राय, कोषाध्यक्ष सुधीर सिंह, सदस्य योगेंद्र सिंह के नेतृत्व में आचार्य महामंडलेश्वर का अंग वस्त्र एवं और मंदिर का प्रतीक चिह्न देकर स्वागत किया गया. दर्शन पूजन के बाद मीडिया से बात करते हुए कहा कि भगवान सूर्य की इस पावन धरती पर आकर उनका मन प्रसन्न हो गया. भगवान सूर्य ज्ञान के देवता है हमारे आराध्य है. हम सभी ज्ञान के उपासक है. उन्होंने कहा कि भगवान सूर्य का एक श्लोक भी है, देवो और मनुष्यो को यज्ञादि श्रेष्ठ कर्मो मे नियोजित करते है. वे समस्त लोकों को देखते (प्रकाशित करते) हुए स्वर्णिम (किरणों से युक्त) रथ से आते है. उन्होंने कहा कि इस सूर्य मंदिर की विकास के लिए राज्य और केंद्र सरकार को साझा प्रयास करना चाहिए. अगर संभव होगा तो हमलोग भी इसे विकसित करने का प्रयास अन्य स्रोतों से करेंगे. महामंडलेश्वर कैलाशनंद जी महाराज ने कहा कि समय मिलेगा तो वो पुनः यहां एकबार आना चाहेंगे और एकांत होकर भगवान की पूजा अर्चना, सेवा आराधना करेंगे. दर्शन पूजन के बाद देव प्रखंड के सटवट गांव में हो रहे महायज्ञ में वे शामिल हुए जहां अपने आशीर्वचनों से भक्तों को कृतार्थ किया. इधर, महामंडलेश्वर के आगमन को देखते हुए थानाध्यक्ष कुमार सौरभ के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस तैनात थी. पुजारी राजेश पाठक, सुभाष पाठक, मृत्युंजय पाठक, अमित पाठक, वर्षानंद तिवारी, कुमार विशाल आदि मौजूद थे.
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