तरारी में चयनित भूमि पर ग्रामीणों ने जताया विरोध
44.56 करोड़ की योजना के तहत नमामि गंगे मिशन का हिस्सा है यह परियोजनाप्रतिनिधि, दाउदनगर.
ओबरा विधायक ऋषि कुमार ने बिहार विधानसभा में तारांकित प्रश्न के माध्यम से दाउदनगर में स्वीकृत इंटरसेप्शन एंड डायवर्सन तथा सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण को लेकर सवाल उठाया है. उन्होंने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री से पूछा कि तरारी पंचायत में चयनित स्थल एसटीपी निर्माण के लिए उपयुक्त है या नहीं. उन्होंने कहा कि वहां सूर्य मंदिर के पास गोरैया बाबा का मंदिर, हनुमान जी, भगवान सूर्य एवं विश्वकर्मा भगवान के अन्य मंदिर भी स्थित हैं, जहां हर वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. विधायक का कहना है कि चयनित स्थल पर बरगद सहित 137 से अधिक पेड़-पौधे हैं, और धार्मिक आस्था जुड़ी होने के कारण इस पर निर्माण से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंच सकती है. उन्होंने पूछा कि यदि सरकार इन तथ्यों को स्वीकार करती है, तो क्या निर्माण स्थल को बदला जायेगा? अगर हां, तो कब तक, और यदि नहीं तो क्यों?वन विभाग की रिपोर्ट में खुलासा : 120 पेड़ निर्माण में बाधक
संबंधित प्रश्न के जवाब में मंत्री ने बताया कि तरारी पंचायत में एसटीपी निर्माण के लिए भूमि का चयन किया गया है और दो अप्रैल 2025 को सीओ से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी प्राप्त कर लिया गया है. परियोजना निदेशक, बुडको द्वारा पेड़ों के कटाव और पुनर्स्थापन के लिए अनुरोध किया गया था. इस पर वन क्षेत्र पदाधिकारी, औरंगाबाद द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा गया है कि चिह्नित स्थल पर 170 वृक्ष हैं, जिनमें से नौ प्रजातियों के 120 वृक्ष निर्माण कार्य में बाधक हैं.44.56 करोड़ की लागत से हो रहा निर्माण
नमामि गंगे योजना के तहत दाउदनगर में एसटीपी प्लांट का निर्माण प्रस्तावित है. करीब एक एकड़ भूमि पर बनने वाले इस प्लांट के लिए राज्य सरकार ने 44 करोड़ 56 लाख 54 हजार 400 रुपये के व्यय की स्वीकृति प्रदान की है. इसमें 100% केंद्रीय सहायता से 42.25 करोड़ रुपये और राज्य सरकार की ओर से 2.31 करोड़ रुपये शामिल हैं.उद्देश्य : गंदे पानी को शुद्ध कर सोन नदी तक पहुंचाना
परियोजना का मुख्य उद्देश्य दाउदनगर शहर के नालों से बहकर सोन नदी में गिरने वाले गंदे पानी को रोकना और उसे शुद्ध कर नदी तक पहुंचाना है. इससे न सिर्फ सोन नदी का प्रदूषण कम होगा, बल्कि किसानों को भी साफ पानी सिंचाई के लिए उपलब्ध हो सकेगा. वर्षा जल पर निर्भरता कम होगी और बेकार जा रहा पानी अब खेतों में उपयोग हो सकेगा. इससे आसपास के जिलों के किसान लाभान्वित होंगे और बेहतर फसलें उगा सकेंगे.स्थानीय ग्रामीणों ने जताया विरोध
चिह्नित स्थल को लेकर स्थानीय ग्रामीणों में आक्रोश है. अप्रैल महीने में ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए कहा था कि जहां प्लांट बनाने की योजना है, वहां गोरैया बाबा का मंदिर स्थित है, जिसका सर्वे में उल्लेख तक नहीं किया गया. ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को 137 पेड़ तो दिखते हैं, लेकिन धार्मिक स्थल नहीं दिखते. उनका यह भी आरोप है कि यह एक ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहर स्थल है, जिसकी अनदेखी की जा रही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है