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Pitru Paksha Mela 2024: पुनपुन घाट पर पिंडदानियों के बैठने तक की जगह नहीं, विशाल झाड़ियों से पटा घाट

Pitru Paksha Mela 2024: औरंगाबाद जम्होर पुनपुन नदी घाट से संबंधित अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन अरसे से यात्रियों की बाट जोह रहा है. पितृपक्ष में पिंडदान के लिए वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए साल में महज 15 दिन कुछ गाड़ियां रुकती हैं.

Pitru Paksha Mela 2024: औरंगाबाद सदर. गया में 15 दिनों तक चलनेवाला पितृपक्ष मेला 17 सितंबर से प्रारंभ हो रहा है. पुनपुन नदी में पिंडदान का विशेष महत्व है. इसे लेकर पितृपक्ष में अपने पूर्वजों को प्रथम पिंडदान अर्पित करने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु जम्होर पुनपुन घाट पहुंचेंगे. लेकिन, घाट पर जिला प्रशासन की ओर से किसी प्रकार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं करायी गयी है. इस कारण तीर्थयात्रियों को इस बार परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. जम्होर पुनपुन घाट के पुजारी कुंदन पाठक उर्फ मलय पाठक ने बताया कि वर्षों से जम्होर में पिंडदान करने के लिए श्रद्धालु आते हैं. उन्हें घाट पर पीने के लिए पानी तक नसीब नहीं होता है. घाट पर हर तरफ बड़ी-बड़ी झाड़ियां उगी हुई हैं. घाट पूरी तरह दलदल व कीचड़ में तब्दील हो गया है. इसके कारण घाट पर बैठने के लिए भी कोई सुविधा नहीं है.

मुख्य सड़क भी बुरी तरह बदहाल

यहां तक कि घाट पर आने-जाने वाली मुख्य सड़क भी बुरी तरह बदहाल है. यूं कहें कि घाट और घाट पर जानी वाली मुख्य सड़क नरक बन गयी है. इस कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. जिला प्रशासन इन सभी चीजों को नजरअंदाज कर रखा है. पहले भी प्रशासन द्वारा बदहाल सड़क की मरम्मत करने की बात कही गयी थी, लेकिन कई साल बीत जाने के बाद भी सड़क की मरम्मत नहीं हुई. पंडित मलय पाठक ने कहा कि इस समस्या को लेकर पहले कई बार जिले के तत्कालीन डीएम, एसडीओ व अन्य अधिकारियों से मिल चुके हैं, लेकिन कोई पहल नही की गयी है. सभी अधिकारियों ने कहा था कि अगले वर्ष से श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन, कोई सुधार नहीं हो सका है. बता दें कि पुनपुन नदी को पिंडदान का प्रथम द्वार कहा जाता है. पुनपुन नदी में पिंडदान करने के बाद ही गया के फल्गु नदी में जाकर पिंडदान करने से श्राद्धकर्म संपन्न होता है.

एएन रोड घाट स्टेशन पर असामाजिक तत्वों का जमावड़ा

जम्होर पुनपुन नदी घाट से संबंधित अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन अरसे से यात्रियों की बाट जोह रहा है. पितृपक्ष में पिंडदान के लिए वाले तीर्थ यात्रियों की सुविधा के लिए साल में महज 15 दिन कुछ गाड़ियां रुकती हैं. उसके बाद पूरे साल स्टेशन पर सन्नाटा पसरा रहता है. इस बार पितृपक्ष में स्टेशन पर पांच जोड़ी गाड़ियों का ठहराव सुनिश्चित किया गया है. इस क्षेत्र में अनुग्रह नारायण रोड मुख्य रेलवे स्टेशन है, जबकि अनुग्रह नारायण रोड घाट स्टेशन हॉल्ट है. पहले इस हॉल्ट स्टेशन पर भवन हुआ करता था. यात्रियों के लिए विश्राम गृह व टिकट काउंटर था. यात्री टिकट खरीदकर आसानी से यात्रा करते थे. स्टेशन पर कई ट्रेनें रुकती थीं, लेकिन अब स्टेशन खंडहर बन गया है. सारे भवन ध्वस्त हो गये हैं. घाट स्टेशन पर हर तरफ झाड़ियां ही झाड़ियां हैं. पुराने खंडहरों में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगता है. यहां मुर्गा और शराब की पार्टी होती है. उनके लिए यह सेफ जगह बन गया है. यहां दिनभर जुआ का खेल चलता है. इसके अलावा यहां विषैले जीवों का वास होता है. कभी पुलिस वाले गलती से देखने भी नहीं जाते हैं.

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पितृपक्ष में भी नहीं रहते रेलकर्मी

इस स्टेशन पर टिकट काउंटर, यात्री शेड जैसी तमाम संरचनाएं हैं, पर स्टेशन पर किसी रेलकर्मी की तैनाती तक नहीं है. यहां तक कि कोई रेलकर्मी देखने तक नहीं आते हैं. इससे यात्रियों को भारी परेशानी होती है. यहां रेलवे टिकट भी नहीं मिलता है. हालत यह है कि पिंडदानियों को एएन रोड स्टेशन पर उतरकर पिंडदान करने के लिए करीब दो किमी रेलवे लाइन के किनारे पैदल चलकर घाट पर पहुंचना पड़ता है.

यहां है करोड़ों का धर्मशाला

पिंड़दानियों को ठहरने के लिए कोलकाता के सेठ सुरजमल बड़जात्या ने सालों पहले यहां तीन एकड़ जमीन करोड़ों रुपये की लागत से एक खूबसूरत धर्मशाला निर्माण कराया था. वर्तमान में वह देखरेख के अभाव में बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गया है. उपयोग व संरक्षण के अभाव में धर्मशाला वीरान पड़ा है.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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