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वैज्ञानिक तरीके से खेती करने से बढ़ेगी उपज

प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण सह उपादान वितरण कार्यक्रम का हुआ आयोजन

रफीगंज. रफीगंज प्रखंड कार्यालय स्थित ई-किसान भवन में शनिवार को खरीफ महाभियान के तहत प्रखंड स्तरीय प्रशिक्षण सह उपादान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन कृषि वैज्ञानिक अनूप चौबे, उप परियोजना निदेशक आत्मा शालिग्राम सिंह, जदयू प्रखंड अध्यक्ष सह बीस सूत्री अध्यक्ष सुनील कुमार वर्मा, कृषि पदाधिकारी अजय कुमार, आत्माध्यक्ष शिवरंजन शर्मा, भाजपा जिला मंत्री सुबोध कुमार सिंह, भाजपा नगर अध्यक्ष सह बीस सूत्री उपाध्यक्ष संतोष कुमार साहू, भाजपा ग्रामीण मंडल अध्यक्ष बब्लू सिंह, यूवा जदयू जिलाध्यक्ष कौशल कुमार चंद्रवंशी ने संयुक्त रूप से किया. सुनील कुमार वर्मा ने कहा कि कृषि ही सबसे उत्तम रोजगार है. जलवायु में परिवर्तन हो रहा है, लेकिन इसी के साथ वैज्ञानिकों द्वारा खेती में काफी शोध किया गया है. इसका परिणाम है कि कम पानी में भी ज्यादा उत्पादन के लिए बीज उपलब्ध है. सिर्फ जानकारी के अभाव में किसान ऐसे बीज का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं. बदलते जलवायु में पारंपरिक खेती से आगे की सोच हमें रखना आवश्यक है और तकनीकी तरीके से खेती जब तक नहीं करेंगे, ज्यादा उपज नहीं कर सकते हैं. भूमि सीमित है और हमें फसल की उपज भी बढ़ानी है. जिससे किसान की आय बढ़ सके. इसके लिए सरकार द्वारा व्यापक पैमाने पर योजनाएं चलायी जा रही है. कृषि वैज्ञानिक डॉ अनूप चौबे ने कहा कि जलवायु परिवर्तन और मानवजनित गतिविधियों के कारण, असंतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग करने से हमारी मिट्टी का दोहन और क्षरण हो रहा है. इससे मिट्टी के प्राकृतिक संतुलन बिगड़ता है. अनाज ही एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिससे विटामिन और पोषक तत्व हमारे शरीर को प्राप्त होता है. किसान अपने खेतों की कम से कम जुताई करके, फसल चक्र, जैविक पदार्थों को अपनाते हुए और गर्मी के दिनों में कवर फसल जैसी संधारणीय मृदा प्रबंधन पद्धतियां को अपना कर मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं. ये पद्धतियां मिट्टी की जैव विविधता को भी संरक्षित करती हैं और उर्वरता में सुधार करती है. कार्बन को अलग करने में योगदान देती हैं, जो जलवायु परिवर्तन के खिलाफ मुकाबले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. धान के मध्यम अवधि वाले प्रजातियों का बीचड़ा लगाने का सही समय 10 जून से 25 जून होता है. किसानों को मध्यम अवधि (120 से 140) दिन में पकने वाली धान के प्रजातियों का बिचड़ा लगाने के लिए खेत की तैयारी प्रारंभ करना चाहिए. इस मौके पर प्रखंड कृषि समन्वयक राजेश कुमार, किसान सलाहकार मनोज कुमार, मिथिलेश कुमार, ऑपरेटर विजय कुमार, संजय कुमार यादव के साथ सैकड़ों किसान मौजूद थे.

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