औरंगाबाद/अंबा. सनातन संस्कृति में सावन शुक्ल पक्ष का काफी महत्व है. हिन्दी के बारह महीनों में श्रावण का अन्यतम स्थान है. यह महीना वर्ष का पांचवां महीना होता है. आज शुक्रवार यानी 25 जुलाई से सावन शुक्ल पक्ष की शुरूआत होगी. ज्योतिविर्द डॉ हेरंब कुमार मिश्र ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार यह देवाधिदेव महादेव का महीना माना जाता है. माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए इसी महीना में निराहार रहकर कठिन व्रत और तपस्या की थी. मान्यता है कि सावन माह में भगवान शिव की भक्तिपूर्वक पूजन और आराधना से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है. यही कारण है कि द्वादश ज्योतिर्लिंग स्थानों के अतिरिक्त विभिन्न शिव मंदिरों में भी सावन माह में भक्तों की अपार भीड़ लगी रहती है. इस महीना में भगवान शिव का अभिषेक या रुद्राभिषेक बहुत बहुत ही अधिक संख्या में किया जाता है. भगवान शिव का जल, दूध, दही, घी, शक्कर, गंगाजल, शहद, गन्ना रस, इत्र आदि कई चीजों से अभिषेक और बेलपत्र, चंदन, धतूरा, शमीपत्र, दूब, कुश, कमल, मंदार, कनेर फूल, भांग आदि के अर्पण की महिमा बताई गई है. रुद्राष्टाध्यायी, रुद्राष्टक और शिव पंचाक्षर मंत्र का पाठ बड़ा ही फलदाई होता है. ज्योतिषीय विचार से इस माह में महामृत्युंजय जप और कालसर्प दोष निवारण के लिए की जाने वाली पूजा विशिष्ट और सद्यः प्रभाव देता है. सावन की महिमा में बताया गया है कि इस माह में भगवान शिव की पूजा से वैवाहिक जीवन सुखमय होता है .
सोमवार को शिव के पूजन करने से मन्नत होती है पूरी
ज्योतिर्विद डॉ मिश्र ने बताया कि सावन महीना में पड़नेवाले सोमवार की महत्ता तो शास्त्रों में अन्यतम बतायी गयी है. श्रद्धालु इस दिन उपवास रखकर शिव परिवार का पूजन करते हैं. पुराणों में बताया गया है कि सावन सोमवार को उपवास और शिव परिवार के पूजन से मनोकामनाओं के इच्छित फल प्राप्त होते हैं. सोमवार महत्व में यह कहा गया है कि विवाहित महिलाओं को सावन सोमवार का व्रत करने से परिवार में खुशियां, समृद्धि और सम्मान प्राप्त होता है, जबकि पुरुषों को इस व्रत से कार्य व्यवसाय में उन्नति, शैक्षणिक गतिविधियों में सफलता और आर्थिक रूप से मजबूती मिलती है.नागपंचमी के साथ शुरू होंगे पर्व त्योहार
ज्योतिर्विद ने बताया कि नागपंचमी के साथ पर्व त्यौहार शुरू होगें. 26 जुलाई शनिवार को करपात्री जंयती मनाई जायेगी. मंगलवार 29 जुलाई को नागपंचमी व गुरुवार 31 जुलाई को सावन शुक्ल पक्ष सप्तमी के साथ तुलसी जयंती मनायी जायेगी. शनिवार नौ अगस्त पूर्णिमा को वैदिक रीति से श्रावणी उपाकर्म किये जायेंगे. भाई-बहन के बीच का पारंपरिक त्योहार रक्षाबंधन इसी दिन मनाया जायेगा. संस्कृत दिवस का आयोजन भी इसी दिन होगा. आचार्य सुशील कुमार मिश्र ने बताया कि शुक्ल पक्ष में 28 जुलाई व 4 अगस्त को सोमवार पड़ रहे हैं. चार अगस्त को श्रावण का अंतिम सोमवार होगा. उन्होंने बताया कि शुक्ल पक्ष में, 26 जुलाई, 29व 30 जुलाई तथा अगस्त में तीन, छह एवं सात को विशेष शिव वास हो रहा है. महारूद्राभिषेक के लिए उस दिन का खास महत्व है. सावन महीने में मंदिर में देवी मां के चरण धोने से घर परिवार में सुख शांति व समृद्धि आती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है