औरंगाबाद/अंबा़ मेष राशि में सूर्यदेव के प्रवेश के साथ आज से खरमास समाप्त हो गया. अब मांगलिक कार्य होंगे और शहनाई गूंजेगी. आज सोमवार को सतुआन (वैसाखी) पर्व भी मनाया जायेगा. इस पर्व पर सत्तू व आम खाने की परंपरा का निर्वहन लोग करेंगे. ज्योतिषीय दृष्टि से यह दिन बेहद खास महत्व रखता है.
ज्योतिर्विद डॉ हेरंब कुमार मिश्र ने बताया कि खरमास की समाप्ति के साथ विवाहादि मांगलिक कार्य पुनः आरंभ हो जायेंगे. सतुआन को कहीं-कहीं लोग विशुआ या बिसुआन भी कहते हैं. खरमास समाप्ति के बाद अप्रैल से जून माह तक कई दिन वैवाहिक कार्य के अच्छे मुहूर्त हैं. आषाढ़ में विवाह के मुहूर्त नहीं होंगे. ज्योतिर्विद ने बताया कि मकर संक्रांति की तरह मेष संक्राति का अलग-अलग महत्व है. मकर संक्रांति में चूड़ा, दही, तिलकुट तो मेष संक्रांति में सत्तू और आम के टिकोरे ग्रहण करने का महत्व है. शास्त्र के अनुसार सूर्य को सभी ग्रहों का पिता माना जाता है. इस दिन नदी सरोवर आदि जलाशयों में पवित्र स्नान कर भगवान सूर्य को जल अर्पित कर पूजा करने से दैहिक, दैविक व भौतिक तापों से मुक्ति मिलती है. साथ ही मनुष्य के घर में सुख शांति व समृद्धि आती है.तिलकोत्सव से शुरू होंगे वैवाहिक कार्य
ज्योतिर्विद ने बताया कि विविध पंचांगों के अनुसार अप्रैल में विवाह के आठ दिन हैं. इसी तरह मई में 10 दिन और जून में चार दिन अच्छे लग्न व मुहूर्त मिलेंगे. 14 अप्रैल को तिलकोत्सव के साथ वैवाहिक कार्यक्रम प्रारंभ हो जायेगा.
पूरे महीने में गूंजेगी शहनाई
ज्योतिर्विद डॉ हेरंब मिश्र ने बताया कि मई महीने में शादी-विवाह के लिए अच्छे लग्न हैं. पूरे महीने शहनाई गूंजेगी व मांगलिक गीतों की धूम रहेगी. हालांकि मौसम का तापमान परवान पर रहेगा. मई माह में पांच मई, आठ मई, नौ मई, 10 मई, 13 मई, 15 मई, 17 मई, 22 मई, 28 मई को विवाह के अच्छे लग्न व मुहूर्त हैं.इस बार जून में भी होगी शादी
ज्योतिर्विद डॉ मिश्र व आचार्य राधेकृष्ण पांडेय उर्फ गुड्डू पांडेय ने बताया कि इस बार जून माह में भी शादी होगी. पहली जून को रात्रि 12 बजकर 59 मिनट से रात्रिशेष चार बजकर पांच मिनट तक, दो जून को दिन में आठ बजकर 16 मिनट से 11 बजकर 33 मिनट तक और रात्रि में नौ बजकर 38 मिनट से 11 बजकर 24 मिनट तक, चार जून को रात्रि 12 बजकर 45 मिनट से रात्रिशेष पांच बजकर 50 मिनट तक, सात जून को दिन में 10 बजकर 14 मिनट से 12 बजकर 28 मिनट तक, दो बजकर 40 मिनट से चार बजकर 45 मिनट तक, गोधूलि लग्न एवं रात्रि में नौ बजकर 19 मिनट से 11 बजकर चार मिनट तक और 12 बजकर 35 मिनट से रात्रिशेष पांच बजकर 39 मिनट तक विवाह के निर्दोष लग्न और मुहूर्त प्राप्त होंगे.
गुरू वृद्धत्व दोष में वैवाहिक कार्यक्रम वर्जित
ज्योतिर्विद डॉ मिश्र ने बताया कि इन सबके अतिरिक्त इस बार 19 और 21 अप्रैल, 6, 7, 11, 14, 18 और 24 मई एवं पांच व आठ जून को दिन में विवाह के लग्न एवं मुहूर्त मिलेंगे. इसके बाद गुरु वृद्धत्व दोष के कारण मांगलिक कार्य के मुहूर्त नहीं मिलेंगे. पुनः दीपावली व गोवर्धन पूजा के बाद वैवाहिक कार्य शुरू होंगे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है