औरंगाबाद शहर. शहर के क्षत्रिय नगर मुहल्ले में देव हॉस्पिटल के समीप राष्ट्रीय राजमार्ग पर हर रोज एक भयावह दृश्य देखने को मिलता है. सुबह कोचिंग के लिए आने वाले छात्र-छात्राएं जब घर लौटते हैं, तो वे हाईवे पर तेजी से गुजरते वाहनों के बीच जान जोखिम में डालकर सड़क पार करते हैं. घर जल्दी पहुंचने की हड़बड़ी में वे यातायात नियमों को नजरअंदाज कर देते हैं और दौड़ते हुए वाहनों को रोकने की आपाधापी करते दिखते हैं. साथ ही एनएच किनारे खड़ा होकर वाहन का इंतजार करते हैं. छात्र-छात्राओं की यह लापरवाही भारी भी पड़ सकती है. क्योंकि, अनहोनी कब हो जाये, यह कोई नहीं जानता. कई बार ऐसे क्षण आते हैं जब हादसा होते-होते टल जाता है. आसपास के दुकानदारों और स्थानीय लोगों की मानें तो प्रशासन और कोचिंग संस्थान दोनों ही अपनी जिम्मेदारी से मुंह मोड़े हुए हैं. न तो वहां कोई सुरक्षित पैदल क्रॉसिंग है, न ही कोई यातायात नियंत्रण की व्यवस्था. जानकारी के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों और अन्य प्रखंडों से प्रतिदिन सैकड़ों छात्र-छात्राएं कोचिंग करने के लिए औरंगाबाद आते हैं. कोचिंग के बाद सभी छात्र एक साथ बाहर निकलते हैं और तुरंत सड़क पार कर वाहनों को पकड़ने की कोशिश करते हैं. इन छात्रों में ज्यादातर हाईस्कूल से स्नातक स्तर के होते हैं, जो अभी भी पूरी तरह से ट्रैफिक नियमों और सड़क सुरक्षा के प्रति सजग नहीं हैं. कोचिंग संस्थान भी छात्रों की सुरक्षा को लेकर कोई विशेष कदम नहीं उठा रहे. ऐसा प्रतीत होता है जैसे किसी दुर्घटना का इंतजार कर रहे हों. स्थानीय नागरिकों और अभिभावकों की मांग है कि प्रशासन अविलंब इस स्थिति का संज्ञान ले. यहां ज़ेब्रा क्रॉसिंग, आवश्यकता अनुसार एक स्पीड ब्रेकर आदि की व्यवस्था की जाए.
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