पंजवारा. पंजवारा सहित आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों शिव-पार्वती की कथाओं और मधुर भजनों से घर-आंगन गूंज रहे हैं. मैथिल ब्राह्मण समाज की नवविवाहिताएं श्रावण मास में पारंपरिक मधुश्रावणी व्रत का श्रद्धा व आस्था के साथ पालन कर रही है. इस व्रत का आयोजन नवविवाहित स्त्रियां अपने पति की दीर्घायु, सुख-समृद्धि और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए करती हैं. नवविवाहिताओं ने बताया कि मधुश्रावणी व्रत कुल तेरह दिनों तक चलता है. व्रत के दौरान प्रतिदिन विशेष पूजन, कथा श्रवण और दैविक अनुष्ठानों का आयोजन होता है. महिलाएं संकल्प लेकर इस अनुष्ठान को पूरी नेम-निष्ठा, पवित्रता और पारंपरिक विधि-विधान के साथ करती हैं. घरों में कोहवर के समीप कच्ची मिट्टी से बने हाथी पर मां गौरी और भगवान शिव की मूर्तियों के साथ-साथ नाग-नागिन, विषहरी, लक्ष्मी और अन्य देवी-देवताओं की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं. इनकी पूजा-अर्चना प्रतिदिन की जाती है. इस दौरान गांव की बुजुर्ग महिलाएं और पुरोहित कथावाचन करते हैं, इसमें शिव-पार्वती विवाह, नागलोक की गाथाएं, विषहरी कथा आदि सुनायी जाती हैं. तेरहवें दिन व्रत की समाप्ति के उपरांत सांवर्तनी का आयोजन किया जाता है, इसमें सुहागिन महिलाओं को सुहाग किट भेंट की जाती है. इसमें मेहंदी, सिंदूर, लहटी, चूड़ी, बिंदी, कंघी और नया वस्त्र आदि शामिल होते हैं. यह अवसर महिला समुदाय के बीच आपसी सौहार्द और सामाजिक एकता को भी मजबूत करता है.
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