सुल्तानगंज से पदयात्रा कर सूईया पहाड़ तक आने वाले श्रद्धालु पत्थर इकट्ठा कर मनोकामना पूर्ण होने की करते हैं कामना इसके साथ बोल बम का जयकारा लगाते हुए तेजी से बढ़ते हैं बैजनाथ धाम की ओर चंदन कुमार, बांका विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला में श्रद्धालुओं का आस्था व उमंग चरम पर है. कांवरिया पथ में शिवभक्तों का उत्साह देखकर हर कोई भाव विभोर हो रहे हैं. पूरा मार्ग गेरुआ रंग से पटा हुआ है. साथ ही धूप, अगरबत्ती आदि की खुशबू से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है. इसी कड़ी में सुल्तानगंज से देवघर की बीच की बात करें तो कई ऐसे महत्वपूर्ण जगह हैं. जो प्राकृतिक सौंदर्य से पटा हुआ है. जैसे सुइया पहाड़ कांवरिया मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. जो बांका जिले में स्थित है. यह पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है. सुल्तानगंज से देवघर कांवर लेकर पैदल यात्रा करने वाले कांवरिया अपनी कठिन चढ़ाई के लिए इस पहाड़ को अग्नि परीक्षा मानते हैं. माना जाता है कि जो कांवरिया सुल्तानगंज से पैदल यात्रा कर इस पहाड़ पर पहुंचते हैं उनकी बाबा धाम पहुंचने की तीव्र इच्छा तेज हो जाती है. साथ ही सारा थकान दूर हो जाता है. सुईया पहाड़ पर पत्थर के टुकड़ों से मकान बनाने की है परंपरा यह पहाड़ धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह कांवरिया मार्ग का एक हिस्सा है और शिव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. सुईया पहाड़ की चढ़ाई कांवरियों के मन और शरीर को चुनौती देती है. जिससे उनकी भक्ति और दृढ़ संकल्प मजबूत होता है. वहीं इस मार्ग से पैदल गुजरने वाले शिव भक्तों की माने तो सावन के महीने में इस पहाड़ का एक अलग ही महत्व है. बताया जाता है कि सावन के पवित्र माह में शिव अपने पूरे परिवार के साथ इस पहाड़ी पर विराजमान रहते हैं और सुल्तानगंज से पदयात्रा कर यहां पहुंचने वाले कांवरिया श्रद्धालु जो भी अपनी आस्था के साथ मन्नते रखते हैं, बाबा भोले उन भक्तों का मनोकामना अवश्य पूरी करते हैं. इसीलिए इस पहाड़ के सबसे ऊंचाई पर जैसे कांवरिया पहुंचते हैं कि सबसे पहले छोटे व बड़े पत्थर के टुकड़े को एक दूसरे के ऊपर रखकर मकान के स्वरूप को तैयार करते हैं. पत्थर इकट्ठा करने के बारे में कहा जाता है कि सूईया पहाड़ पर अगर आस्था के साथ जो भी भक्त अपनी मन में मनोकामना को लेकर रखते हैं उन भक्तों का कामना अवश्य पूरी होती है. जिसे लेकर यह दृश्य पूरे सूईया पहाड़ पर जगह-जगह देखने को मिलता है. जबकि ऐसा भी कहा जाता है कि सुल्तानगंज से पैदल यात्रा करने में जो कांवरिया को रास्ते में परेशानी होती है इस पहाड़ को पार करने के बाद उनकी सारी परेशानी दूर हो जाती है. इसके बाद तेजी से वे बाबा बैजनाथ धाम की ओर निकलते हैं. -सुईया पहाड़ का महत्व सुईया पहाड़ की चढ़ाई कांवरियों के लिए एक कठिन परीक्षा मानी जाती है. खासकर जब वे नंगे पैर और कांवर में गंगाजल भरकर चढ़ते हैं. सुईया पहाड़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता, हरे-भरे जंगल और झरनों के लिए भी जाना जाता है. जिस कारण यहां कांवरिया कुछ पल बैठकर आनंद के पल बिताते है. जबकि उक्त पहाड़ के ऊंची चोटी पर सजी दर्जनों खान-पान की दुकान पर भी बैठकर विभिन्न तरह के व्यंजन का स्वाद लेते हैं. 2. 54 किलो का चांदी लगा कांवर बना आकर्षक का केंद्र, कांवर के साथ सेल्फी लेने के लिए मची होड़. फोटो 17 बांका 8 विशाल कांवर के साथ श्रद्धालु बांका. कांवरिया मार्ग में एक से बढ़कर एक शिवभक्त विभिन्न वेश धारण कर व कांवर को लेकर यात्रा कर रहे हैं. इसी क्रम में पटना सीटी के मारूकगंज से करीब 400 की संख्या में शिव भक्त ने 54 किलो चांदी से तैयार 54 फीट का कांवर को लेकर कांवरिया मार्ग में चल रहे हैं. इस संबंध में कांवर लेकर चल रहे विनोद बाबा ने बताया कि 2008 से मैं उक्त कांवर को लेकर चल रहा हूं. आगे उन्होंने कहा कि सुल्तानगंज से जल लेकर पैदल यात्रा करते हुए उक्त कांवर को 54 घंटा में बाबा बैजनाथ लेकर पहुंचते हैं. उक्त कांवर में बैधनाथ धाम का मंदिर, बाबा भोलेनाथ का पूरा परिवार का प्रतिमा, मां दुर्गा, काली, राधा-कृष्ण एवं मां लक्ष्मी व गणेश जी प्रतिमा चांदी से बना हुआ है. जो करीब एक करोड़ की लागत से पूरे कांवर को तैयार किया गया है. जबकि बाबा भोलेनाथ के कृपा से प्रत्येक वर्ष कांवर में और चांदी सहित अन्य चीजों को लगाकर सजाया जा रहा है. आकर्षक कांवर को देखकर लोग उक्त कांवर के साथ सेल्फी लेने के लिए जुट जाते है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है