सुगम कच्ची पथ, पेयजल, शौचालय, स्नानागार आदि की अधूरी है तैयारी प्रतिनिधि, कटोरिया अजगैबीनाथ से बाबाधाम की डगर पर विश्व प्रसिद्ध श्रावणी मेला को लेकर सभी बुनियादी सेवाओं व सुविधाओं का इंतजाम तो हो रहा है, लेकिन इसकी गति काफी मंथर है. जबकि श्रावणी मेला के शुभारंभ में महज पांच दिन शेष रह गए हैं. बांका जिला अंतर्गत धौरी से लेकर दुम्मा बॉर्डर तक लगभग 55 किलोमीटर के क्षेत्र में बांका जिला प्रशासन द्वारा कच्ची कांवरिया पथ को सुगम बनाने, पेयजल, शौचालय व स्नानागार सहित साफ-सफाई, बिजली, ठहराव आदि के बेहतर इंतजाम किए जाते हैं. लेकिन जिस अनुरूप श्रावणी मेला में देश-विदेश के शिवभक्तों की संख्या में वर्ष दर वर्ष इजाफा हुआ है, उस अनुसार ससमय सभी तैयारियों को पूर्ण करना भी बड़ी चुनौती है. अब तक कच्ची कांवरिया पथ में मिट्टी के कटाव को दुरूस्त कर गंगा का महीन बालू डालने का कार्य भी अधूरा ही है. पीएचइडी के स्थायी व अस्थायी पेयजल, शौचालय व स्नानागार आदि को उपयोग लायक बनाने का का भी कार्य बाकि ही है. सुदूरवर्ती इलाकों यानि डार्क जोन में वैकल्पिक व्यवस्था के तहत रोशनी का इंतजाम करना, जगह-जगह पार्किंग स्थल को सभी सुविधाओं से लैश बनाने आदि का भी कार्य अभी पूर्ण नहीं हुआ है. अबरखा में बन रहा है टेंट सिटी सुल्तानगंज से बाबाधाम के बीच प्रसिद्ध स्थल यानि अबरखा में सरकारी धर्मशाला के बगल में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी पर्यटन विभाग के सौजन्य से टेंट सिटी का निर्माण कराया जा रहा है. जर्मन हैंगर से बने वाटर प्रुफ व फायर प्रुफ इस टेंट सिटी में लगभग छह सौ से भी अधिक कांवरियों के एक साथ ठहरने के अलावा पेयजल, शौचालय, पंखा व कूलर, एलइडी से भजन का प्रसारण आदि की सुविधा शिवभक्तों को उपलब्ध होंगी. नए दरभाषण नदी पुल का निर्माण है अधूरा कटोरिया-देवघर मुख्य मार्ग पर जमुआ मोड़ के समीप दरभाषण नदी पर स्थित पुल के समानांतर नए पुल का निर्माण कार्य चल रहा है. लेकिन नए पुल का निर्माण कार्य अधूरा ही रहने के कारण इस वर्ष इसका उपयोग नहीं हो पाएगा. नए पुल से वाहनों का परिचालन एवं पुराने पुल से कांवरियों का आवागमन कराने की योजना है. वर्तमान में श्रावणी मेला के दौरान दरभाषण नदी पर स्थित पुराने पुल के आधा भाग से कांवरियों एवं शेष भाग से वन-वे सिस्टम के साथ कांवरियों को पार कराया जाता है. जिससे हमेशा जाम की भी स्थिति बनती है. हालांकि इस वर्ष कांवरिया वाहनों को जमुआ मोड़, भैरोगंज, बघवा पहाड़ होते हुए तुर्की मोड़ में निकालने की योजना बनायी जा रही है.
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