मधुकर मिश्रा/ Bihar Crime News: बेतिया की मासूम का कसूर सिर्फ इतना था कि वो वहसियों के झूठे प्रेम में फंस गयी. अगर फंसी न होती तो वो आज जिंदा होती अपने गांव में रहती, अपने मां बाप के पास रहती. लेकिन उसे मरना था, क्योंकि वो उस जगह पर पहुंच गयी थी, जहां रोमांस के बहकावे में हर दिन बेटियां नोची जाती हैं. लूटी जाती हैं और अंतत : तड़प तड़प कर मर ने के लिए छोड़ दी जाती हैं. चीनी मिल रोड पर स्थित महादेव होटल, जो कभी एक सामान्य होटल समझा जाता था, अब शहर की शर्म बन चुका है. उसी होटल के एक कमरे में, चौतरवा के भोलू और रूपेश नाम के युवक मैनाटांड़ की नाबालिग लड़की को बहला-फुसला कर लाते हैं.
न तो दौरा पड़ा था, न ही दुर्घटना हुई थी…
कुछ ही देर में लौरिया के सचिन को भी बुलाया जाता है. फिर उस कमरे के बंद दरवाजे के पीछे जो होता है, वह किसी मां की कोख को झुलसा देने वाली घटना है. तीनों दरिंदों ने मिलकर नाबालिग के साथ ऐसा अत्याचार किया कि उसका शरीर खून से सना पड़ा था. होटल का बिस्तर, उनकी बाइक और बाद में अस्पतालों के बिस्तर तक हर जगह बस खून ही खून. जब मासूम दर्द से तड़प रही थी, तब वे झूठी कहानी बनाकर कहते रहें की उसे मिर्गी का दौरा पड़ा है, एक्सीडेंट हो गया है. लेकिन न तो दौरा पड़ा था, न कोई दुर्घटना हुई थी. हुआ था तो सिर्फ इंसानियत का सामूहिक बलात्कार.
दर्द से तड़पती बेटी को बचाने की जगह डाक्टरों ने फेर लिया मुंह
मैनाटांड़ की उस मासूम की मौत के पीछे केवल तीनों युवक ही दोषी नहीं है. पूरा का पूरा सिस्टम इसके लिए जिम्मेवार है. खून से लथपथ लड़की को लेकर जब हैवान नगर के शिवगंज अवस्थित गुप्ता हास्पीटल पहुंचे तो उसकी सांसे ऊपर की ओर चल रही थी. लड़की को युवकों ने अस्पताल में ही बेड पर लिटा दिया और एम्बुलेंस से बेतिया ले जाने के लिए कहने लगे. लेकिन इस बीच न तो अस्पताल के कर्मियों ने ये जानने की कोशिश की कि लड़की के साथ क्या हुआ है और ना ही पुलिस को ही सूचना दी. यही हाल पुरानी बाजार के रविरंजन क्लीनिक के पास भी हुआ. ई रिक्शा से लेकर पहुंचे हैवानों को देखकर वहां भी किसी ने न तो पुलिस को सूचना दी और ना ही उसका इलाज किया. छोटे मोटे ऑपरेशन से लेकर बड़ा बड़ा आपरेशन करने वाले तथकथित चिकित्सकों ने मौत के आगोश में पल पल समा रही बेटी से एक प्रकार से किनारा कर लिया.
शहर में इस बात की चर्चा है कि अगर डाक्टरों ने ध्यान दिया रहता तो एक बेटी नहीं मरती और पुलिस को भी लोगों का आक्रोश नहीं झेलना पड़ता. लेकिन अस्पताल वाले पहले ही समझा गए थे कि मामला प्रेम प्रसंग का है और जो युवक लड़की को लेकर आये हैं वो जेब से कमजोर लग रहे हैं. गरीबो की मुफ्त इलाज का दावा करने वाले अस्पतालों के संचालक भी अपनी जिम्मेवारी का खून कर दिया. नगर के कई ऐसे होटल, रेस्टरांट, मकान हैं, जहां जिस्म की दलाली और मासूमियत की नीलामी हो रही है. यहां प्रशासन को नजर रखनी होगी. नही तो मैनाटांड़ की मासूम जैसी कई बेटियां…?
एसडीपीओ जयप्रकाश सिंह ने कहा कि होटलों में नियमित रूप से जांच करने का निर्देश थानाध्यक्ष को दिया गया है. होटलो में समय समय पर जांच भी की जाती है. अगर इस प्रकार की घटना में होटल संचालक के बारे में सूचना मिलती है तो उनके विरूद्ध विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी.
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