विश्व दुग्ध दिवस पर विशेष
– केवल सुधा डेयरी के माध्यम से होता है 80 हजार लीटर दूध का उत्पादन, बांकी गोशाला व सामान्य पशुपालकों के प्रयास से होता है दूध का उत्पादन, पशुपालकों को 75 लाख रुपये तक रोजाना होती है आय– विक्रमशिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड, भागलपुर की ओर से लगातार हो रहे बदलाव, बिहार सरकार की योजना से 10 टन क्षमता का नया दही संयंत्र स्थापित करने की मिली स्वीकृतिदीपक राव, भागलपुर
भागलपुर में दूध उत्पादन और पशु पालकों के विकास के लिए कई नयी पहल की गयी है. प्रदेश सरकार ने देसी गाय पालन पर अनुदान देने की योजना शुरू की है. सहकारी दूग्ध उत्पादक संघ के तहत प्रतिदिन जिले में 80 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है, जबकि बांकी गोशाला व सामान्य पशुपालकों के प्रयास से 70 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है. ऐसे में भागलपुर में प्रतिदिन 1.50 लाख लीटर दूध की खपत अलग-अलग कार्यों के लिए किये जाते हैं. इससे पशुपालकों को 75 लाख रुपये की आय मिलती है.
दुग्ध उत्पादन के क्षेत्र में भागलपुर यूनिट का पूर्वी बिहार तक प्रभाव है. भागलपुर स्थित सुधा डेयरी विक्रमशिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लिमिटेड, भागलपुर का क्षेत्र भागलपुर, बांका, मुंगेर और जमुई तक है. 12 अप्रैल को भागलपुर के सुधा डेयरी में कॉम्फेड की अध्यक्ष डॉ विजयालक्ष्मी ने बिहार सरकार की योजना से 10 टन क्षमता का नया दही संयंत्र स्थापित करने की स्वीकृति दी थी. इसके साथ-साथ किसानों के लंबित दुग्ध विपत्रों के भुगतान एवं आवश्यक उपकरणों के खरीद के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया था. नये दुग्ध संयंत्र स्थापित होने से भागलपुर, बांका, मुंगेर और जमुई के दूध उत्पादक किसानों को अधिक लाभ मिलेगा.चाय के लिए रोजाना 18 हजार लीटर हो जाती है दूध की खपत
कोरोना काल के बाद लोगों में दूध उत्पादों के प्रति रुझान बढ़ गया है. दरअसल चिकित्सकों द्वारा प्रोटीन युक्त भोजन लेने का सुझाव दिया गया. इसमें सबसे अधिक सुगमता से दूध व इसका उत्पाद उपलब्ध होने लगा. लोगों की डिमांड बढ़ने के बाद पशुपालन को भी बढ़ावा मिला. दूध की खपत चाय के साथ, पनीर, घी, खोवा, क्रीम व घी के रूप में होता है. खास कर शादी व अन्य उत्सव में इन चीजों की अधिक से अधिक खपत होती है. दूध की सबसे अधिक खपत मिठाई व चाय के लिए होती है. चाय का सेवन 60 फीसदी लोग रोजाना करते हैं. इसमें दूध की खपत रोजाना 30 हजार लीटर से अधिक हो जाता है.स्वच्छता, भंडारण और प्रसंस्करण है बड़ी चुनौती
भागलपुर शहरी क्षैत्र में बड़े पैमाने पर गायों का पालन गोशाला में किया जाता है. यहां प्रतिदिन 800 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है. गोशाला के मंत्री सुनील जैन ने बताया कि दूध की स्वच्छता, भंडारण और प्रसंस्करण सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही दूध उत्पादन की लागत को कम रखना एक बड़ी चुनौती है. इसमें चारा, दवा और श्रम की लागत शामिल है. गोशाला का आधुनिकीकरण करने के लिए नयी तकनीकों और उपकरणों का उपयोग करना भी बड़ी चुनौती है.ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ा डेयरी फार्मिंग का रुझान
डीएम डॉ नवल किशोर चौधरी ने पिछले साल नवंबर में कॉम्फेड को लेकर बैठक की थी. पहले ग्रामीण स्तर पर दुग्ध उत्पादक समूह बना कर उनसे दूध क्रय करना, दूसरा दूध की प्रोसेसिंग करना, तीसरा दुग्ध उत्पाद की मार्केटिंग करना. भागलपुर में सुधा की स्थिति और मजबूत बनाने पर जोर दिया था. सभी अनुमंडल में सुधा केंद्र की स्थापना, दुग्ध उत्पादक समूह बढ़ाने की बात कही गयी. पशुपालकों को दूध उत्पादन के क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए ही उनके खाते में सीधे पैसा भेजा जा रहा है. भागलपुर शहर में 16 स्थान बिक्री केंद्र के रूप में बढ़ाने का निर्णय हुआ.
भागलपुर में 450 महिला आधार वाली समिति
सुधा डेयरी के एमडी शिवेंद्र सिंह ने सुधा के क्रमिक विकास की बात कही है. पहले से महिलाओं की भागीदारी बढ़ी है. 2315 समिति ग्रोथ कर रहा है, जिसमें 450 महिला आधार वाली समिति है. एक लाख मेबर में 28270 महिलाएं हैं.
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