हर वर्ष आठ मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. वर्ष 2025 में विश्व थैलेसीमिया दिवस की थीम है – सभी के लिए समान देखभाल : थैलेसीमिया रोगियों को सम्मान और समावेशिता के साथ जीने का अधिकार. दिवस के आयोजन का मकसद पूरी दुनिया में थैलेसीमिया जैसे गंभीर आनुवांशिक रक्त विकार के बारे में आमलोगों को जागरूक करना है. थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए देखभाल समेत समाज में उनकी भागीदारी बढ़ाने की जरूरत है. मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के शिशु विभाग में थैलेसीमिया दिवस पर गोष्ठी का आयोजन होगा. विभाग के अध्यक्ष डॉ अंकुर श्रीवास्तव ने बताया कि मायागंज अस्पताल में थैलेसीमिया के 210 मरीजों का इलाज थैलेसीमिया डे केयर सेंटर में जनवरी 2023 से हो रहा है. थैलेसीमिया एक अनुवांशिक रक्त संबधी बीमारी है, जिसमें शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन नहीं बना पाता है. रोगी को बार-बार रक्त चढ़ाने की जरूरत पड़ती है. इस समय अस्पताल में प्रतिदिन औसतन आठ मरीजों को खून चढाया जाता है. इसमें जेएलएनएमसीएच के ब्लड बैंक का अहम योगदान है. सेंटर में आयरन चिलेटर डेफेरासिरोक्स की दवा मरीजों को मुफ्त दी जा रही है. साथ ही मरीजों को बार-बार खून चढ़ने की वजह से बुखार, कंपकंपी और अन्य कुप्रभाव को रोकने के लिए लयूको फिल्टर से खून चढ़ाया जाता है, जो हर मरीजों को मुफ्त उपलब्ध है. राज्य सरकार मरीजों को भेज रहा वेल्लोर : थैलेसीमिया दो प्रकार का होता है, थैलेसीमिया माइनर और थैलेसीमिया मेजर. थैलेसीमिया माइनर में लक्षण बहुत मामूली होते हैं, लेकिन जब दोनों माता-पिता थैलेसीमिया माइनर के वाहक होते हैं, तो उनके बच्चे को थैलेसीमिया मेजर होने की संभावना अधिक होती है. थैलासीमिया मेजर से प्रभावित बच्चे में छह महीने की उम्र के बाद से ही हर तीन से चार सप्ताह में खून चढ़ाया जाता है. कभी-कभी खून चढ़ाने से शरीर में आयरन की बढ़ने लगता है, इसके वजह से शरीर के अन्य अंग जैसे लीवर व ह्रदय प्रभावित होते हैं. बच्चे का शारीरिक विकास भी रुक जाता है. बच्चों में शरीर से आयरन कम करने के लिए आयरन चिलेटर दवा दी जाती है. इस बीमारी के लिए बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन ही इसका एकमात्र उपाय है. बिहार सरकार द्वारा मुख्यमंत्री बाल थैलेसीमिया योजना के तहत सीएमसी वेल्लोर में 12 वर्ष से कम इन बच्चों के बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन की व्यवस्था की जा रही है. थैलेसीमिया से बचाव व रोकथाम : थैलेसीमिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है समय पर थैलेसीमिया जांच, विशेषकर विवाह से पूर्व या गर्भधारण से पहले. अगर दोनों पति-पत्नी थैलेसीमिया माइनर हैं, तो गर्भावस्था के दौरान गर्भस्थ शिशु की जांच से यह तय किया जा सकता है कि बच्चा थैलेसीमिया मेजर से ग्रसित होगा या नहीं. समय रहते उचित सलाह और चिकित्सा सहायता से इस रोग से बचा जा सकता है.
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