मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के अधीक्षक डॉ अविलेश कुमार ने बुधवार को सभी विभाग के अध्यक्षों के साथ बैठक कर मरीजों को मिल रही सुविधाओं की समीक्षा की. सबसे पहले अस्पताल के संचालन के लिए विधि व्यवस्था की पूरी जानकारी ली गयी. अधीक्षक ने कहा कि सभी डॉक्टर ऑन ड्यूटी पर रहें. वहीं नर्सिंग स्टाफ अपनी ड्यूटी के हैंडओवर व टेकओवर की प्रक्रिया ठीक तरीके से करें. वहीं आवश्यकता के अनुसार अस्पताल में कितने सुरक्षाकर्मी, ट्रॉली मैन समेत अन्य तरह के मैनपावर चाहिए, इसकी भी जानकारी सभी विभागों से ली गयी. विभागाध्यक्षों से अपने विभाग की जरूरतों की सूची तैयार करने को कहा गया. विभागों की हमेशा मांग रहती है कि हमारे पास स्टाफ की कमी रहती है. वहीं निजी पैथोलैब सेंट पायस को 24 घंटा ऑपरेट करने का निर्देश दिया गया. वहीं भवन की मरम्मत के लिए पटना मुख्यालय को पत्राचार करने की बात कही गयी. बैठक के दौरान सफाई व सुरक्षा समेत अन्य तरह की एजेंसी को बुलाकर अपना काम बेहतर तरीके से करने को कहा गया. अगली बैठक में सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल से संबंधित समीक्षा होगी. बैठक में मेडिकिल कॉलेज के प्राचार्य डॉ हेमशंकर शर्मा व अस्पताल प्रबंधक सुनील कुमार गुप्ता समेत अन्य चिकित्सक थे.
जिले को मिला रोटा वायरस वैक्सीन का 9300 डोज, टीकाकरण शुरू
पटना मुख्यालय से भागलपुर जिले को बुधवार को रोटा वायरस वैक्सीन का 9300 डोज की आपूर्ति की गयी. जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ धनंजय कुमार ने यह जानकारी दी. सदर अस्पताल में यह वैक्सीन लगना शुरू हो गया. करीब एक माह से वैक्सीन खत्म होने के कारण टीकाकरण बंद था. इसके अलावा बांका जिले के 6200 डोज, जमुई के लिए 5300 डोज, मुंगेर के लिए चार हजार डोज तो लखीसराय जिले के लिए 1200 डोज रोटावायरस वैक्सीन की आपूर्ति की गयी. बुधवार को बांका, जमुई, मुंगेर, लखीसराय की वैक्सीन टीम ने भागलपुर आकर रोटावायरस समेत अन्य प्रकार के टीके का उठाव किया. वहीं भागलपुर जिले के प्रखंड के अस्पतालों को भी टीके की आपूर्ति कर दी गयी. गुरुवार से जिले के प्रखंड अस्पतालों में भी रोटावायरस का टीकाकरण शुरू होगा. रोटावायरस वैक्सीन बच्चों को रोटावायरस संक्रमण से बचाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली एक वैक्सीन है, जो उल्टी, दस्त और बुखार का कारण बनती है. यह वैक्सीन आमतौर पर शिशुओं को दो, चार व छह महीने की उम्र में तीन खुराकों में दी जाती है.
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