नवगछिया कदवा पंचायत कार्तिक नगर के घनश्याम राम के पुत्र अनिमेष आनंद का घर के पास खेत में ही अंतिम संस्कार किया गया. शिक्षक घनश्याम राम के दोनों पुुुत्र अनिमेष आनंद, अनुराग आनंद को ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी है. बड़े पुत्र अनिमेष आनंद की मौत इलाज व दवाई नहीं मिलने से हो गयी. मुख्याग्नि दादा रामेश्वर रविदास ने दिया. घनश्याम राम ने बताया कि अनिमेष के आनंद की मौत के बारे में छोटे पुत्र अनुराग आनंद बहुत देर तक नहीं बताया गया. उसके सामने घर के लोग रोते नहीं थे. घर में लोगों को छुप-छुप कर रोता देख वह समझ गया कि बड़े भाई की दवाई के अभाव में मौत हो गयी. पिता से कहा कि दवाई नहीं मिली, तो मेरी भी मौत हो जायेगी. उसको बताया कि उसकी दवाई आ रही है. अनिमेष आनंद की मौत दवाई के अभाव में नहीं हुई है. दवाई के साइड इफैक्ट से हुई है. आपकी दवाई आ रही है. बड़ी पुत्री प्रतिमा कुमारी पीजी कर रही है. दूसरी पुत्री सपना इंटर कर रही है. छोटी बेटी नवम वर्ग में पढ़ती है. पत्नी मंजनी कुमारी व तीनों बेटियों का रो रो कर बुरा हाल है. सपना कुमारी ने कहा पापा हम तीनों बहन को जहर खिला दीजिए. भाई के साथ रहेंगे. भाई ऊपर में अकेले कैसे रहेगा. हम लोग अपने भाई का इलाज नहीं करवा पाये. लानत है ऐसे जीवन पर. आर्थिक विपन्नता से तीनों बेटी की पढ़ाई बाधित हो रही है. प्रतिमा कुमारी ने बताया कि मुझे दो भाई थे. एक भाई की मौत हो गयी. एक भाई बचा है. सरकार से अनुरोध करती हूं मेरे भाई को बचा ले. मेरा भाई नहीं रहेगा, तो राखी किसको बाधूंगी. मंजनी कुमारी बताती है कि अगर सरकार ध्यान देती, तो हमारा बेटा नहीं मारता. घनश्याम राम ने बताया कि छोटे बेटे की बीमारी का पता जन्म के दो वर्ष बाद ही चल चुका है. बिहार के किसी भी मेडिकल कॉलेज में इस बीमारी का स्पेशलिस्ट डॉक्टर नहीं है. सरकार को ऐसा नियम बनाना चाहिए कि ऐसे असाध्य बीमारी से ग्रसित बच्चे अगर पहुंचते हैं, तो उसके लिए रिजर्व कोटा में वेंटिलेटर की सुविधा उपलब्ध करवाना अनिवार्य हो. पटना एम्स से डॉक्टर ने लेटर दिया कि अगर इंजेक्शन समय पर नहीं पड़ा, तो आगे का अंजाम बुरा होगा. कई बार सरकार को पत्र लिख कर दवाई उपलब्ध करवाने की मांग की. पूरे परिवार की इच्छा मृत्यु की मांग की, लेकिन सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं मिला. दादा रामेश्वर रविदास ने बताया कि तीन दिनों से पूरा परिवार किसी तरह से पानी पीकर जीवन बचा रहा है. पूर्णिया सांसद पप्पू यादव के आवास पर भी हाथ पैर जोड़े, किंतु उन्होंने ने भी इस ओर कोई साकारत्मक पहल नहीं किया.
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