कहलगांव एसएसवी महाविद्यालय कहलगांव में एनएसएस इकाई एक के बैनर तले सात दिवसीय विशेष शिविर के छठे दिन शारीरिक स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य विषय पर जागरूकता कार्यक्रम हुआ. नेतृत्व कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ अजय कुमार ने किया.
महाविद्यालय के हिंदी विभाग के सहायक प्राध्यापक व एनसीसी पदाधिकारी शेखर सुमन तथा मनोविज्ञान की अतिथि शिक्षिका डॉ प्रियंका कुमारी ने कुलकुलिया गांव में जाकर ग्रामीणों को शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के महत्व की जानकारी दी और उन्हें इससे जुड़े विभिन्न पहलुओं को लेकर जागरूक किया. कार्यक्रम की सफलता में राष्ट्रीय सेवा योजना के 50 स्वयंसेवकों ने अहम भूमिका निभायी. स्वयंसेवकों ने ग्रामीणों में स्वास्थ्य संबंधी संदेशों का प्रचार-प्रसार किया और उन्हें नियमित स्वास्थ्य जांच, संतुलित आहार, योग, ध्यान और मानसिक तनाव से बचाव के उपायों से अवगत कराया व ग्रामीण समुदाय में स्वास्थ्य को लेकर सकारात्मक संदेश फैलायाऔर लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित किया.गुरु के बताये मार्ग पर चलने से ईश्वर की प्राप्ति : सुबोधानंदजगदीशपुर प्रखंड अंतर्गत सैनो गांव स्थित ठाकुरबाड़ी प्रांगण में चल रहे श्री राम कथा के सातवें दिन स्वामी सुबोधानंद जी महाराज ने सीता हरण के प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि कैसे स्वर्ग मृग बने मारीच के मायाजाल में फंसने और लक्ष्मण रेखा लांघने के बाद रावण ने माता सीता का हरण कर लिया. उन्होंने कहा कि हमें भी कभी अपनी मर्यादा रेखा को पार नहीं करनी चाहिए. स्वामी जी ने माता सबरी के प्रसंग को सुनाते हुए कहा कि गुरु की भक्ति और उसने बताये गये मार्ग पर चलने से भगवान की प्राप्ति हो जाती है. रामकथा के दौरान अरविंद मंडल, प्रभाकर मंडल, महेन्द्र साह पंकज, प्रेम, सुशील मंडल, रितेश मंडल सहित काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
भगवान श्रीकृष्ण-सुदामा की मित्रता ने भावुक किया श्रद्धालुओं
सन्हौला प्रखंड के अरार पंचायत भंडारीडीहा चैती दुर्गा मंदिर प्रांगण में श्रीश्री 1008 वासंती नवरात्रि महोत्सव पर श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी. कथावाचक फणीभूषण जी महाराज ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता की कथा सुना भक्तों भावविभोर कर दिया. उन्होंने बताया कि किस प्रकार निर्धन सुदामा अपने बचपन के मित्र भगवान श्रीकृष्ण से मिलने द्वारका पहुंचे. जब श्रीकृष्ण को उनके आगमन की जानकारी मिली, तो वह दौड़ते हुए आए और सुदामा को गले से लगा कर उनका भावपूर्वक स्वागत किया. सुदामा बिना किसी अपेक्षा के केवल भेंट करने आये थे, लेकिन श्रीकृष्ण ने उनकी झोपड़ी को महल में परिवर्तित कर दिया. लोगों से कहा कि मित्रता करना है, तो कृष्ण और सुदामा जैसे करो. कथा के अंतिम दिन समाजसेवी सदानंद बिंद ने भागवत कथा को सफल बनाने में अपना योगदान दिया. मौके पर अशोक पासवान सहित अनेक लोग उपस्थित थे.
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