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bhagalpur news. 15 अगस्त तक गंगा व अन्य नदियों में मछली की शिकारमाही पर रोक

जिले की नदियों व सरकार से अधिसूचित नि:शुल्क शिकारमाही जलकरों में 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों की शिकारमाही पर रोक लगा दी गयी है.

जिले की नदियों व सरकार से अधिसूचित नि:शुल्क शिकारमाही जलकरों में 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों की शिकारमाही पर रोक लगा दी गयी है. शिकारमाही करनेवाले पर पकड़े जाने के बाद कड़ी कार्रवाई होगी. जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने जिले के सभी संबंधित थाना के पदाधिकारी को पत्र लिखकर मछली की शिकारमाही पर रोक लगाने में सहयोग करने को कहा है. जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने कहा कि 15 जून से 15 अगस्त तक मछलियों की प्रजनन अवधि रहती है. किसी भी तरह के मत्स्य शिकारमाही पर बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 की धारा 13 के अंतर्गत रोक लगायी गयी है. शिकारमाही पर रोक लगने से ही नदियों व नि:शुल्क जलकरों में जैव विविधता को सामान्य रखा जा सकेगा. जिला मत्स्य पदाधिकारी सह मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने कहा आदेश की अवहेलना करने वालों के विरुद्ध कार्रवाई में छह माह का कारावास या पांच सौ रुपये तक जुर्माना या दोनों कार्रवाई हो सकती है. बिहार मत्स्य जलकर प्रबंधन अधिनियम द्वारा 15 जून से 15 अगस्त तक बहती नदियों में मछली की शिकारमाही को प्रतिबंधित किया गया है. दरअसल यह समय मछली का प्रजनन काल होता है. इस समय के बीच मछलियां अपने-अपने प्रजनन के लिए उपयुक्त स्थल का चयन कर बच्चा देती है. सफल प्रजनन होने से मछलियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है. नदियों में मछली का सफल प्रजनन हो, इसके लिए मानसून की अवधि में नदियों में मछली पकड़ने पर रोक लगायी गयी है. गंगा, कोसी व इससी जुड़ी नदियों में प्रचुर मात्रा में मछलियों का उत्पादन होता है. उन्होंने बताया कि मछलियों के प्रजनन तथा छोटे मछलियों को जीवित रखने के लिए उक्त आदेश जारी किये हैं. कहा कि नदियों में मछली शिकारमाही के लिए जहरीले पदार्थों, डायनामाईड या किसी विस्फोटक पदार्थ के इस्तेमाल पर, 4 सेमी से कम फासा वाले जाल के इस्तेमाल पर, छोटी मछलियों के शिकारमाही पर एवं नदियों व जलाशयों में मछलियों के आने-जाने के रास्ते पर बाड़ी या किसी प्रकार का घेरा लगाने पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है. ऐसा करना दंडनीय अपराध है.

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