हद नहीं तो क्या है—जहां तरह-तरह की दुकानें और ग्राहकों की भीड़ होनी चाहिए, कूड़ा डंपिंग प्वाइंट के रूप में उस जगह का हो रहा उपयोगसंजीव झा, भागलपुर
भागलपुर जिले में योजनाओं पर घोषणाएं, आमलोगों के संघर्ष और सोशल साइट्स पर चर्चे जितने सुनने-देखने को मिलते हैं, हकीकत उसके उलट होता है. हवाई सेवा की चुप्पी के बाद बाजार समिति परिसर के विकास के दावे भी ढीले पड़ते जा रहे हैं. बिहार की 12 बाजार समिति परिसरों के विकास पर सरकार वर्ष 2021 से खर्च कर रही है. लेकिन भागलपुर की बाजार समिति का बागबाड़ी प्रांगण उपेक्षित है. इसका उपयोग शहर का कूड़ा डंपिंग प्वाइंट के रूप में भी हो रहा है. सड़कें बेहाल हैं. बिल्डिंग को उसी के हाल पर छोड़ दिया गया है. बाकी किसी सुविधाओं की बात न ही हो, तो अच्छा. वहीं दूसरे शहरों में बाजार समिति के नाले, चहारदीवारी, शेड, सड़क, बोरिंग, विद्युतीकरण, वेंडिंग प्लेटफार्म, दुकान, वे-ब्रीज, जल निकाय, प्रशासनिक भवन, श्रमिक विश्राम गृह, अतिथि गृह, मछली बाजार, सोलर पैनल जैसे कार्यों के लिए सात अरब 48 करोड़ 46 लाख 30 हजार की योजनाओं पर काम हो रहा है.40 करोड़ की योजना का प्रस्ताव व डीपीआर है बागबाड़ी का
बागबाड़ी कृषि बाजार समिति का डेवलपमेंट कार्य होगा, तो अस्थायी दुकानदारों को बाजार मिलेगा. शहर में अतिक्रमण कर लगनेवाली अस्थायी दुकानदारों को अस्थायी जगह मिलेगी. शहरवासियों को एक ही जगह विविध चीजों की खरीदारी की सुविधा मिलेगी. पुल निर्माण निगम ने बागबाड़ी कृषि बाजार समिति का डेवलपमेंट कार्य के लिए 40 करोड़ रुपये की योजना का प्रस्ताव व डीपीआर मुख्यालय को भेज दिया है. लेकिन इस पर कोई काम नहीं हो रहा है.राज्य के इन 12 शहरों में सज रही बाजार समिति
गुलाबबाग (पूर्णियां), मुसल्लहपुर (पटना), आरा, हाजीपुर, समस्तीपुर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, गया, बेतिया, दाउदनगर, मोहनियां.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है