प्रतिनिधि, खरीक
भागवत महापुराण कथा के दूसरे दिन कथा व्यास ने कहा कि भागवत के चार अक्षर इसका तात्पर्य यह है कि भा से भक्ति, ग से ज्ञान, व से वैराग्य और त त्याग जो हमारे जीवन में प्रदान करे उसे हम भागवत कहते हैं. इसके साथ-साथ भागवत के छह प्रश्न, निष्काम भक्ति, 24 अवतार श्री नारद जी का पूर्व जन्म, परीक्षित जन्म, कुन्ती देवी के सुख के अवसर में भी विपत्ति की याचना करती है क्योंकि दुख में ही तो गोविन्द का दर्शन होता है. जीवन की अन्तिम बेला में गंगा पुत्र भीष्म गोपाल का दर्शन करते हुये अद्भुत देह त्याग का वर्णन किया. कथा व्यास के अमृत वचनों के प्रभाव से पूरा पंडाल भावों से भरा था, कुन्ती स्तुति, भीष्म स्तुति ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया. कथा का सफल संचालन में सविता देवी, दीपक राय, धीरज राय, नीरज राय आदि का सराहनीय योगदान रहा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है