अब भागलपुर में एक भी परंपरागत सिनेमा हॉल संचालित नहीं है. लेकिन दर्शकों को इसके लिए निराश होने की जरूरत नहीं है. जवाहर टॉकीज की तरह दीपप्रभा टॉकीज की जगह पर भी मॉल का निर्माण होगा. मॉल में मल्टीप्लेक्स में फिल्में देखने की सुविधा मिलेगी. जवाहर टॉकीज में मॉल का निर्माण चल रहा है, जबकि दीपप्रभा टॉकीज 30 जून को बंद होने के कारण फिलहाल मॉल निर्माण पर विचार चल रहा है. फिल्म देखने के कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म उपलब्ध होने के कारण परंपरागत सिनेमा हॉल में दर्शकों की संख्या लगातार घटती चली गयी. स्थिति यह हो गयी कि आमदनी से अधिक खर्च होने लगा. आखिरकार सिनेमा हॉल मालिक ने जिले के आखिरी संचालित सिनेमा हॉल दीपप्रभा टॉकीज को भी बंद कर दिया. यही स्थिति बीते वर्षों में कमोबेश अन्य सिनेमा हॉल की भी हुई. आयी मिलन की रात से आतंकवादी तक का सफर भागलपुर शहर में आदमपुर स्थित दीपप्रभा टॉकीज की शुरुआत वर्ष 1991 में हुई थी. 22.05.2002 में इसे बरारी एस्टेट के प्रेमेंद्र मोहन ठाकुर उर्फ मुन्नू बाबू ने खरीद लिया. जब दीपप्रभा टॉकीज की शुरुआत हुई, तो अविनाश वाधवन, शाहीन, अनुपम खेर अभिनीत पहली फिल्म आई मिलन की रात लगी. 30 जून को जब हॉल बंद हुआ, तो आखिरी फिल्म आतंकवादी लगी थी. वहीं जवाहर टॉकीज की स्थापना 8.10.1950 को बरारी इस्टेट के जमींदार नरेश मोहन ठाकुर ने की थी. पहली फिल्म ‘गणेश जन्म’ लगी थी और 13 मार्च, 2020 को आखिरी फिल्म ‘पवनपुत्र’ लगी और अगले दिन 14 मार्च से कोरोना वायरस से लॉकडाउन में सिनेमा हॉल ही बंद हो गया. दर्शकों की चाहत आधुनिकता से है जुड़ी आज के दौर में सिनेमा देखने के कई प्लेटफॉर्म हैं. इनमें प्रमुख हैं नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो, हॉटस्टार, यूट्यूब और भी कई अन्य. इसके इतर मल्टीप्लेक्स का कल्चर दर्शकों को लुभाने लगा है. दर्शक चाहते हैं कि सिनेमा देखने जाएं, तो स्टाइलिश और आरामदायक कुर्सी मिले. वहां जाएं, तो सिनेमा के अलावा कुछ खरीदारी व मनोरंजन के अन्य साधन भी मिले. साथ में बच्चे हों और उन्हें मस्ती करनी है, तो उनके लिए भी सुविधाएं मिले. दर्शकों को हम निराश नहीं होने देंगे अब समय बहुत बदल चुका है. अब दर्शकों की भारी कमी है. खर्च बढ़ता जा रहा है. इस कारण जवाहर टॉकिज की जगह हमने मॉल का निर्माण शुरू कराया है. इसमें मल्टीप्लेक्स भी होगा. इसी तरह यह विचार है कि दीपप्रभा टॉकीज की जगह पर भी मॉल व मल्टीप्लेक्स की व्यवस्था की जाये. अभी इसे संभावित माना जाये, लेकिन लोगों की उम्मीद टूटने नहीं दी जायेगी. —प्रेमेंद्र मोहन ठाकुर, मालिक, दीपप्रभा टॉकीज
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