बीते दिनों हुई झमाझम बारिश के बाद गंगानदी उफान पर है. नदी की तेज धारा को देखकर भागलपुर शहर से सटे दियारा पर बसे हजारों की आबादी सहमी हुई है. जलस्तर बढ़ने की आशंका से दियारे पर बसे दर्जनों गांव के लोग शहर में सुरक्षित ठिकाना बना रहे हैं. शहर के हवाई अड्डा, विसर्जन घाट, मानिक सरकार घाट, विवि का टिल्हा कोठी, टीएनबी कॉलेजिएट मैदान, सीटीएस का चर्च मैदान समेत अन्य जगहों पर लोग टेंट बनाने की जगह तलाश रहे हैं. मंगलवार को हवाई अड्डा परिसर में पहुंचे शंकरपुर दियारा निवासी जितेंद्र कुमार ने बताया कि गांव में करीब 300 घर हैं. दो हजार की आबादी है. वहीं करीब एक हजार मवेशी रहते हैं. गांव के अधिकांश घर डूब गये हैं. घर में छाती भर पानी बह रहा है. गांव के लोग नौ नाव के सहारे अपना सामान, बच्चे व मवेशी को सुरक्षित स्थान तक निकालने में दिनरात लगे हैं. इस आपाधापी में बच्चे व मवेशी ठीक तरीके से खा नहीं रहे हैं. अब पानी उतरने के बाद दीपावली तक वापस लौट पायेंगे. तबतक हवाई अड्डा में ही शरण लेंगे.
टिल्हा कोठी से बाढ़ पीड़ितों को हटाया गया : मंगलवार को नाथनगर प्रखंड अंतर्गत बैरिया पंचायत के दिलदारपुर दियारा के लोग टीएमबीयू परिसर स्थित टिल्हा कोठी पर आशियाना बनाने के लिए पहुंचे थे. जैसे ही इसकी जानकारी विश्वविद्यालय प्रशासन को हुई, स्थानीय पुलिस की मदद से उन लोगों को हटा दिया गया. सीनेट हॉल के समीप गेट में ताला लगा दिया गया. बाढ़ पीड़ित अंदर नहीं घुस पाये. इस पर दियारावासियों ने आपत्ति जतायी. दिलदारपुर के लोगों ने बताया कि घर में बाढ़ का पानी घुस गया है. मामले पर टीएमबीयू की प्रॉक्टर डॉ अर्चना साह ने बताया कि बाढ़ पीड़ितों के लिए जिला प्रशासन ने टीएनबी कॉलेजिएट स्कूल और विश्वविद्यालय बाल निकेतन स्कूल आवंटन किया है. अगस्त में राष्ट्रपति का प्रोग्राम निर्धारित है. इससे कार्यक्रम में बाधा होगी.गंगा का जलस्तर बढ़ने से पानी एनएच 80 के करीब पहुंचा
सबौर प्रखंड मुख्यालय से 500 मीटर की दूरी पर खनकित्ता और घोषपुर फरका के बीच एनएच 80 सड़क के किनारे तक गंगा का पानी पहुंच गया है. इसी क्षेत्र मे सबसे पहले गंगा का पानी बगडेर संतनगर के रास्ते प्रवेश करता है. जब गंगा का जलस्तर बढ़ गया है. पानी ज्यादा बढ़ने पर गंगा की धारा सड़क के पुल पुलिया होते हुए रेलवे लाइन के किनारे तक भी पहुंच जाती है. किसानों के खेत भी जलमग्न हो जाते हैं. दूसरी ओर कतरिया नदी का भी जल स्तर बढ़ने के बाद किसानों के खेत डूब जाते हैं. कतरिया नदी से प्रभावित किसान ज्यादातर भिट्ठी, सरधो, मिर्जापुर, राजपुर, जमसी, जीछो, अगरपुर, कुरपट बहियार के होते हैं. पानी बढ़ने के बाद गंगा का जल और कतरिया नदी का पानी दोनों मिल जाता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है