टीएमबीयू के पीजी प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग में सोमवार को एक दिवसीय व्याख्यान आयोजित किया गया. मौके पर मुख्य वक्ता दक्कन कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट एंड रिसर्च इंस्टीच्यूट के पूर्व कुलपति व पुराविद प्रो वसंत शिंदे ने कहा कि पुरातत्व के नवीन उपागम के आधार पर शोध क्षेत्र को और अधिक व्यापक बनाने की जरूरत है. साथ ही नये साक्ष्यों को लेकर पुराने सिद्धांतों के पुनरावलोकन को वर्तमान में बड़ी चुनौती बताया. उन्होंने इतिहास एवं पुरातत्व के परस्पर संबंधों की विस्तार से विवेचना की. साथ ही प्रो रामशरण शर्मा के उस मत का समर्थन किया. इसमें साहित्य में आये उल्लेखों का पुरातात्विक साक्ष्यों द्वारा क्रॉस परीक्षण करना चाहिए. वहीं, विभाग की प्रभारी हेड प्रो अर्चना साह ने पुरातत्व के विभिन्न विधाओं का विस्तार से उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को पुरातत्व के क्षेत्र में अपनी समझ को बढ़ाने पर जोर दिया. संचालन डॉ पवन शेखर ने किया. इस अवसर पर डॉ बिहारी लाल चौधरी, डॉ रजी इमाम, डॉ अरुण कुमार झा, डॉ अंशुमान सुमन, डॉ उमेश तिवारी, डॉ दिनेश कुमार गुप्ता, रजनीश आनंद आदि मौजूद थे.
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