दीपक राव, भागलपुर अंग क्षेत्र अंतर्गत भागलपुर, बांका व मुंगेर के कतरनी किसानों के लिए खुशखबरी है. इसी बार खरीफ में बौना कतरनी का बीज किसानों को बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के कृषि वैज्ञानिक उपलब्ध करायेंगे. इसे लेकर तैयारी शुरू कर दी है, ताकि सामान्य खेतों में बौना कतरनी की खेती का परीक्षण स्वरूप प्रगतिशील कतरनी किसानों का चयन किया जा सके. अगले साल सामान्य किसानों को बौना कतरनी की खेती के लिए बीज तैयार कर लिया जायेगा. ऐसे में सामान्य लंबा पौधा वाले कतरनी धान की बजाय बौना कतरनी तेज हवा व बारिश में गिरने से बच जायेगा. साथ ही उसकी उपज डेढ़ गुना तक बढ़ जायेगी.
पौधा प्रजनन विभाग के कनीय वैज्ञानिक डॉ मंकेश कुमार ने बताया कि कतरनी का बौना पौधा तैयार करने में सफलता हासिल कर ली गयी गयी. अभी और शोध आखिरी चरण में है, ताकि सुगंध को बड़े पौधे वाली कतरनी के बराबर लाया जा सके. अब तक के शोध में 160 सेंटीमीटर लंबे कतरनी पौधा से घटाकर 110-115 सेंटीमीटर तक करने में सफलता मिल गयी है.
कम दिन में होगी अधिक उपजडॉ मंकेश कुमार ने बताया कि ट्रायल में इसकी उपज 25-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर से बढ़ाकर 45 क्विंटल तक करने में भी सफलता मिली है. साथ ही 155 दिन की बजाय 135 दिन में ही बौना कतरनी धान परिपक्व हो जायेगा. पौधा लगाने का समय एक ही होगा. दरअसल, वातावरण व मिट्टी के अनुसार कतरनी धान में खुशबू आती है. बताया कि इस बार सामान्य किसानों को धान लगाने में दिक्कत होगी. इस बार चयनित प्रगतिशील कतरनी किसानों को बौना कतरनी लगवा कर परीक्षण किया जायेगा. इससे पहले विश्वविद्यालय में शोध में ट्रायल किया जा चुका है.
कतरनी धान की कई किस्म तैयार करने के लिए शोध चल रहा है. अलग-अलग सिरीज में कतरनी की नयी किस्म की खेती होगी. अगले साल आम किसानों को बौना कतरनी की खेती कराने को बढ़ावा दिया जायेगा. कतरनी को और अपग्रेड करने की तैयारी चल रही है.
कोट जीआई टैग मिलने के साथ कतरनी की मार्केटिंग भी बहुत अच्छी हुई है. मांग के साथ कीमत अच्छी मिल रही है. कतरनी की नयी वेराइटी निकलेगी, किसानों को खेती में सुविधा होगी और उत्पादन भी बेहतर होगा. इसे नया नाम भी मिलेगा. पौधे को बौना करना बीएयू के वैज्ञानिकों का क्रांतिकारी कदम है.डॉ दुनियाराम सिंह, कुलपति, बीएयू, सबौर
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