संजीव झा, भागलपुर
उच्च शिक्षण संस्थानों में अब तक एंटी रैगिंग सेल गठित होते और किसी छात्र या छात्रा के साथ रैगिंग होने पर सेल द्वारा कार्रवाई करने की बात सुनने को मिलती रही है. अब इससे कई कदम आगे बढ़ कर उच्च शिक्षण संस्थानों में एक नयी व्यवस्था होने जा रही है. इसके तहत हरेक संस्थान में जेंडर चैंपियंस की नियुक्ति की जायेगी. जेंडर चैंपियंस का काम संस्थान परिसर में ऐसा माहौल तैयार करना होगा, जिसमें लड़कियां आदर-सम्मान की नजर से देखी जाएं.
यूजीसी का कुलपति को पत्र
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव प्रो मनीष जोशी ने तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के कुलपति व इसके अंतर्गत आनेवाले कॉलेजों के प्राचार्यों को भी पत्र भेजा है. लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षण संस्थानों में सभी स्तरों पर बातचीत के तरीके में बदलाव लाने की आवश्यकता जतायी गयी है. सभी शैक्षणिक संस्थानों में जेंडर चैंपियंस की नियुक्ति की बात कही गयी है. इसमें 16 वर्ष से अधिक आयु के लड़के, लड़कियां और ट्रांसजेंडर शामिल होंगे. वह शैक्षणिक संस्थानों में नामांकित होने चाहिए. जेंडर चैंपियंस की ऐसे जिम्मेदार नायकों के रूप में परिकल्पना की गयी है, जो अपने संस्थानों के भीतर एक सक्षम वातावरण को सुगम बनाएंगे, जहां लड़कियों के साथ गरिमा और सम्मान के साथ व्यवहार किया जाता है.
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