नयी व पुरानी कमेटी के बीच आरोप-प्रत्यारोप, दोनों ने खुद को असली कमेटी का पदाधिकारी होने का किया दावा
स्वामी हंस कला मंदिर प्रबंध कमेटी की रविवार को आमसभा के बाद हुए पदाधिकारियों के चयन पर पुरानी कमेटी ने सवाल खड़ा किया है. इस तरह कमेटी को लेकर विवाद गहरा रहा है.
पवन कुमार गुप्ता ने खुद को वर्तमान में सचिव होने का दावा करते हुए कहा कि आठ जून को एसडीओ को आवेदन देकर यहां की वस्तु-स्थिति से अवगत कराया है. गुड़हट्टा चौक के समीप हंस कला मंदिर व परिसर पर एक समाज विशेष के लोगों का कब्जा करने की साजिश चल रही है. तीन साल पहले एक अष्टधातु की मूर्ति चोरी हो गयी थी. फिर नये राम दरबार की स्थापना की गयी. अब कुछ समाज विशेष के लोग अपने कुलगुरु गणिनाथ की प्रतिमा लगाना चाहते हैं. जबकि उनकी कमेटी में सभी समाज के लोग शामिल हैं. ऐसे में सभी समाज को अपने-अपने समाज के महापुरुषों व कुलगुरु की प्रतिमा स्थापित करने देना संभव नहीं है. पूर्व पार्षद सदानंद मोदी ने खुद को यहां का अध्यक्ष बताते हुए कहा कि इस मंदिर पर सभी समाज के लोगों का अधिकार है. समाज विशेष का आधिपत्य होने से आमलोगों को दिक्कत होगी. यह मंदिर प्राचीन समय से महंत परंपरा के अनुरूप है.महामंडलेश्वर श्री अयोध्या दास शास्त्री जी वर्तमान महंत हैं, जो कि अयोध्या में रहते हैं. वहां से ही इस मंदिर का लिंक है. रविवार को हुई आमसभा व चुनाव में अध्यक्ष बने ईं नंदकिशोर साह ने कहा कि रविवार को आमसभा ने चुनकर उन्हें अध्यक्ष बनाया. यहां किसी तानाशाही नहीं चलेगी. उनकी कमेटी में भी सभी समाज के लोग शामिल हैं. वर्तमान पार्षद धीरज कुमार ने अध्यक्षता की थी. आमसभा में 500 से अधिक लोग शामिल हुए थे. इससे पहले आमसभा के लिए पार्षद ने थानाध्यक्ष व एसडीओ को आवेदन किया था. सात जून को थानाध्यक्ष ने यहां का मुआयना किया था. इसमें पूर्व सचिव पवन गुप्ता की सहमति भी ली गयी थी. पूर्व कमेटी का आरोप निराधार है.
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