बिहार के 38 जिलों की होगी उच्च स्तरीय मृदा मैपिंग की जायेगी. यह परियोजना भारत सरकार के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के मृदा एवं भूमि उपयोग सर्वेक्षण विभाग द्वारा वित्त पोषित है और देश के चुनिंदा अग्रणी वैज्ञानिक संस्थानों में से एक बीएयू सबौर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है. उच्च स्तरीय मृदा मैपिंग राष्ट्रीय परियोजना की पहली समीक्षा बैठक बीएयू में हुई. विश्वविद्यालय ने कृषि नवाचार और संसाधन आधारित भूमि प्रबंधन की दिशा में एक ऐतिहासिक पहल करते हुए राष्ट्रीय मृदा मानचित्रण कार्यक्रम की शुरुआत की है.
बैठक का आयोजन बीएयू अनुसंधान निदेशालय में हुई, जिसकी अध्यक्षता निदेशक अनुसंधान डॉ अनिल कुमार सिंह एवं इस महत्वाकांक्षी परियोजना के नोडल अधिकारी ने किया. इस परियोजना के अंतर्गत बिहार के सभी 38 जिलों की विस्तृत मृदा मैपिंग दो चरणों में तीन वर्षों के भीतर की जाएगी. जिससे हाई रेजोल्यूशन मृदा मानचित्र तैयार किया जाएगा. यह मानचित्र राज्य की कृषि नीति मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन क्षेत्रीय कृषि योजना तथा जलवायु परिवर्तन के प्रति अनुकूलन रण नीतियों के लिए एक मजबूत आधार तैयार करेंगे. बैठक में डॉ एके सिंह, डाॅ अंशुमान कोहली अंतर संस्थागत समन्वय की रूपरेखा पर विस्तार से चर्चा की. कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि बीएयू सबौर को इस राष्ट्रीय परियोजना का नेतृत्व मिलना बिहार के लिए गर्व की बात है.
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