विश्व होमियोपैथी दिवस हर साल 10 अप्रैल को मनाया जाता है. यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चिकित्सा प्रणाली है. खराब जीवन शैली व मिलावटी खानपान से लोग कई बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं. वहीं नियमित रूप से एलोपैथी व अन्य विधि से इलाज करा रहे हैं. बीमार लोगों का इलाज में काफी पैसा खर्च होने के बावजूद बीमारी खत्म नहीं हो रही है. ऐसे में लोगों का विश्वास अब होमियोपैथी पद्धति में तेजी से बढ़ा है. कम खर्च में लोग होमियोपैथ दवा का सेवन कर वर्षों पुरानी बीमारी से निजात पा रहे हैं. इनमें हार्ट, डायजेशन, फैटी लीवर, ब्लड प्रेशर, शुगर, ज्वाइंट पेन, मां व बच्चों समेत विभिन्न बीमारियां हैं.
थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित मरीज की हालत स्थित : शहर के जाने माने होमियोपैथी चिकित्सक डॉ पीएन पांडेय ने बताया कि आमतौर पर बच्चों में होने वाली जन्मजात बीमारी थैलेसीमिया में खून नहीं बनता है. मरीज को हर माह खून चढ़ाया जाता है. लेकिन होमियोपैथिक उपचार से शहर के बाल्टी कारखाना निवासी एक मरीज को बीते दो साल से खून नहीं चढ़ा है. मरीज के अनुसार पहले उसका खून का लेवल चार रहता था. अब आठ पर आकर स्थिर हो गया है.
पेट की बीमारी का बेंगलुरु तक कराया इलाज : शहर के होमियोपैथी चिकित्सक डॉ एसके पंथी ने बताया कि उन्होंने कई ऐसे मरीज को ठीक किया है. जो देशभर के प्रसिद्ध अस्पतालों का वर्षों से चक्कर काट रहे थे. उन्होंने बताया कि शहर के एक मरीज को अल्सरेटिव कोलाइटिस बीमारी हो गयी थी. पेट की बीमारी का इलाज उन्होंने बेंगलुरु समेत अन्य शहरों में कराया. जब वह ठीक नहीं हुए तो मैंने मरीज का इलाज कर स्वस्थ किया.
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