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Bhagalpur News: 1885 में मधेपुरा के खोखसी में महर्षि मेंहीं का हुआ था अवतरण : गुरुसेवी भगीरथ महाराज

महर्षि मेंहीं जयंती समारोह की तैयारी पूरी, आज कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ेगी अनुयायियों की भीड़

– महर्षि मेंहीं जयंती समारोह की तैयारी पूरी, आज कुप्पाघाट आश्रम में उमड़ेगी अनुयायियों की भीड़

वरीय संवाददाता, भागलपुर

कुप्पा घाट आश्रम में 11 मई रविवार को होने वाले महर्षि मेंहीं महाराज की 141वीं जयंती समारोह की तैयारी पूरी कर ली गयी है. गुरुसेवी भगीरथ दास महाराज ने कहा कि महर्षि मेंहीं परमहंस का अवतरण 1885 ई मंगलवार को वैशाख शुक्ल चतुर्दशी पर मधेपुरा जिला स्थित खोखसी श्याम गांव में अपने ननिहाल में हुआ था. जब जन्म हुआ तो लोगों ने देखा कि उनके सिर पर सात जटाएं हैं. वह प्रतीक पहचान ऋषि, मुनियों प्राचीन संतों की थी. उस जटा को उनकी बड़ी बहन झूलन दाय कंघी से सुलझा दिया करती थी, लेकिन दूसरे दिन ही सात की सात फिर से बन जाती थी. यह देखकर लोगों ने आश्चर्य किया. लोगों को ज्ञात हुआ कि यह साधारण जटा नहीं है. ऋषि मुनियों की जटा है और माना गया कि महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज जन्मजात ऋषि हैं. जब पंडित ज्योतिष के द्वारा इनका नामकरण किया गया तो रामा अनुग्रह लाल दास रखा गया और आगे चल कर महर्षि मेंहीं परमहंस जी महाराज के स्वभाव संस्कार को देखकर उनके चाचा ने इनका नाम मेंहीं लाल रख दिया. इनकी बुद्धि बड़ी महीन थी. यही नाम बाबा देवी साहब को बड़ा अच्छा लगा, तो उन्होंने भी इसी नाम को लोगों के बीच रहने दिया और बदला ही नहीं तब से मेंहीं नाम से ये जाने जाने लगे.

विभिन्न प्रांतों से पहुंचे श्रद्धालु, आने का सिलसिला जारी

महर्षि मेंहीं आश्रम कुप्पाघाट के गुरु निवास, समाधि मंदिर व आश्रम परिसर को फूल-पत्तियों से सजाया गया है. इसके अलावा जिले व आसपास के क्षेत्रों के अलग-अलग आश्रम में भी तैयारी पूरी कर ली गयी. जयंती समारोह को लेकर विभिन्न प्रांतों से सत्संगियों व श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया है. देर रात तक श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहा. अखिल भारतीय संतमत सत्संग महासभा के महामंत्री दिव्य प्रकाश ने बताया कि बाहर से आने वाले गुरु भक्तों के लिए आश्रम में भोजन व ठहरने की व्यवस्था की गयी है. संजय बाबा ने बताया कि ब्रह्म मुहूर्त तीन से चार बजे तक सामूहिक ध्यानाभ्यास, प्रात: पांच बजे प्रभातफेरी सह शोभायात्रा निकाली जायेगी. छह बजे स्तुति प्रार्थना व प्रात:कालीन सत्संग के बाद पुष्पांजलि व प्रसाद वितरण होगा. सुबह 11 बजे से भंडारा, दोपहर एक बजे भजन-कीर्तन, दो बजे स्तुति विनती, ग्रंथपाठ व महर्षि मेंहीं महाराज के व्यक्तित्व व कृतित्व पर प्रकाश डाला जायेगा.

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