वरीय संवाददाता, भागलपुर
ऑल इण्डिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियन्स (ऐक्टू) ने आशा के मासिक मानदेय में हालिया वृद्धि को उनके निरंतर संघर्ष और दबाव का परिणाम बताया है. एक्टू के राज्य सचिव व भाकपा-माले के नगर प्रभारी मुकेश मुक्त ने कहा कि यह आशा की आंशिक जीत है. उनके सारे हक मिलने तक लड़ाई जारी रहेगी. यह आशा व आशा फेसिलिटेटरों की पांच दिवसीय राज्यव्यापी मई हड़ताल, नौ जुलाई की राष्ट्रीय हड़ताल और वर्तमान स्वास्थ्य मंत्री के दर्जनों स्थानों पर घेराव जैसे एकजुट आंदोलनों से हासिल हुई है. नीतीश–भाजपा सरकार ने 2023 में आशा की 35 दिनों की ऐतिहासिक हड़ताल के दौरान 12 अगस्त को हुए मानदेय बढ़ोतरी के लिखित समझौते को राजनीतिक अड़ंगा डाल कर लागू नहीं किया और बड़ी चालाकी से उसे नजरअंदाज कर दिया था. अब जब चुनाव सिर पर है और कुर्सी पर खतरा मंडराने लगा, तब बेचैनी में लोगों को बरगलाने में लगे हैं लेकिन आशा सहित सभी स्कीम कर्मी और अन्य संघर्षशील तबके सरकार की इन फरेबी जालों को अच्छी तरह से समझ रहे हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है