मौसम में बदलाव का असर: दूषित जल व भोजन से टाइफाइड व जॉन्डिस के मरीज 40 प्रतिशत तक बढ़ेबारिश व ऊमस भरी गर्मी से वैक्टिरिया पनपने लगे हैं. इससे डायरिया, टायफाइड व पीलिया के मरीज बढ़ने लगे. मौसम बदलने से जहां एलर्जिक मरीजों की परेशानी बढ़ गयी है, तो बुखार वाले मरीजों में 80 फीसदी टाइफाइड व जॉन्डिस के मरीज पाये जा रहे हैं. जेएलएनएमसीएच व सदर अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में करीब 40 फीसदी तक डायरिया, टायफाइड व पीलिया के मरीज बढ़ गये हैं.निजी क्लिनिक में भी इन दिनों जांच में टाइफाइड के केस अधिक मिल रहे हैं. बुखार से पीड़ित अधिकांश मरीजों की रिपोर्ट टायफाइड पॉजिटिव आ रही है. वहीं कुछ मरीज जॉन्डिस के भी मिल रहे हैं. अगर मरीज को बुखार के साथ सर्दी खांसी रहती है, तो ऐसे केस वायरल इंफेक्शन के रहते हैं.
दीपनगर के सामाजिक कार्यकर्ता मनोज गुप्ता पिछले 15 दिनों से टाइफाइड से पीड़ित हैं. उन्होंने बताया कि लगातार बुखार की दवा व पानी की कमी होने पर स्लाइन चढ़ा लेते थे. जब बुखार नहीं उतरा, तो जांच कराना पड़ा. अब टाइफाइड से पीड़ित हैं. इस क्षेत्र में महीनों से दूषित जल की आपूर्ति हो रही है. प्याऊ का पानी भी गंदा है. क्या करेंगे. कोई उपाय नहीं है. सराय की रेणु देवी ने भी टायफाइड पॉजिटिव व प्लेटलेट्स काउंट कम होने की बात कही.वरीय चिकित्सक डॉ डीपी सिंह ने बताया कि इन दिनों टायफाइड व जॉन्डिस के मामले 40 प्रतिशत तक बढ़े हैं. इसमें बुखार में 80 फीसदी से अधिक टाइफाइड के मरीज मिल रहे हैं. टायफाइड में आंत का इंफेक्शन होता है. यह गंदा पानी व दूषित भोजन से होता है. ऐसे मामले में डॉक्टर की सलाह जरूरी है. उन्होंने बताया कि संक्रमण के मौसम में घर के सभी लोग दिन में कई बार हाथ को साबुन से साफ करें. पानी को उबालकर पीने से बीमारी का चांस कम हो जाता है.शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि अभी गर्मी में अचानक बारिश होने व जलजमाव के कारण बच्चे टाइफाइड, पीलिया से पीड़ित हो रहे हैं. 25 फीसदी से अधिक बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. शिगैला के कारण सबसे अधिक बच्चे डायरिया की चपेट में आते हैं. ये बैक्टीरिया नालियों या मल-मूत्र वाले गंदे स्थानों पर पाये जाते हैं. वहीं लिवर में सूजन होने पर जांडिस (पीलिया) हो जाता है. इसके मरीज की आंखें पीला, पेशाब का रंग पीला, उल्टी व भूख का कम लगना व पेट में लगातार दर्द बना रहता है. अगर ये लक्षण दिखे तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करें. टायफाइड या जॉन्डिस के मरीज खुले में बिकने वाले भोज्य पदार्थों से परहेज करें. फल व हरी सब्जियों को अच्छी तरह से धाेने के बाद ही इस्तेमाल करें. घर के आसपास को साफसुथरा रखें, दूषित और बासी भोजन न करें. जंक फूड (पिज्जा,बर्गर, मोमो, चाउमिन आदि) से दूर रहें. खुले में बिक रहे जूस, मिठाई, चाट-गोलगप्पा से दूर रहें.
तेज बुखार हो, तो हो जायें अलर्ट
वरीय चिकित्सक डॉ विनय कुमार झा ने बताया कि अगर किसी मरीज को तेज बुखार के साथ-साथ सरदर्द होता हो तो उसे सतर्क हाे जाना चाहिए. उसे टायफाइड हो सकता है. अगर मरीज में उक्त लक्षण के साथ-साथ भूख की कमी, उल्टी व सुबह बुखार का ज्यादा होना और शाम तक कम हो जा रहा है तो तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. यह वायरल होता है. इसके मरीज को दवा के साथ-साथ आराम करना चाहिए. इसे ठीक होने में दस दिन से लेकर 14 दिनों का समय लगता है. वहीं डॉ अजय सिंह ने बताया कि बच्चे को दस्त के साथ-साथ सुस्ती, अर्द्धचेतन अवस्था में जाना, आंखें अंदर की ओर धंसना, त्वचा का सूखा होना, ब्लड प्रेशर कम होना, यूरिन (मूत्र) बंद होना या कम होना डायरिया के प्रमुख लक्षण है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है