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bhagalpur news. युवाओं को नशे के दलदल में जाने बचाने के लिए करनी होगी पहल

भागलपुर के आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को लीगल काउंसलिंग का आयोजन किया गया.

भागलपुर के आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को लीगल काउंसलिंग का आयोजन किया गया. जिसमें व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता नारायण पाठक ने कहा कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से कोर्ट पर दबाव बढ़ रहा है. शराब मामले की सुनवाई के लिए दो कोर्ट है. प्रतिदिन दोनों कोर्ट में 20 से अधिक मामले आ रहे हैं. ऐसे में केस की संख्या बढ़ती जा रही है. इसका कोर्ट पर भी असर पड़ता है. बताया कि पहली बार शराब के नशे में पकड़े जाने पर फाइन देकर कोर्ट से छूट जाते हैं. दूसरी बार में 10-15 दिन में कोर्ट से जमानत मिलती है और तीसरी बार में एक माह तक न्यायिक हिरासत में रहने के बाद ही जमानत मिल सकती है. बताया कि शराब तस्करी करने वाले कई लोगों को कोर्ट से लंबे समय तक के लिए सजा सुनायी जा चुकी है. बताया कि शराब तस्करी में युवक व युवतियों को भी प्रलोभन देकर काम कराया जा रहा है. यह जानकारी कोर्ट में आये मामलों से सामने आ रहा है. नाबालिग से लेकर करीब 20 वर्ष वाले युवक को अवैध शराब का डिलीवरी ब्वॉय बना दिया है, ताकि किसी को कोई शक नहीं हो. शराब माफिया का काम सुचारु रूप से चलता रहे.

पॉक्सो कोर्ट में नाबालिग से छेड़छाड़ का बढ़ रहा मामला

अधिवक्ता नारायण पाठक ने कहा कि पॉक्सो कोर्ट में नाबालिग से छेड़छाड़ का भी मामला लगातार बढ़ रहा है. सबूत के आधार पर कोर्ट में सजा सुनायी जा रही है. हाल के वर्षों में नाबालिग से छेड़छाड़ का मामला बढ़ा है. इसके साथ ही जमीनी विवाद का भी मामला ज्यादा सामने आ रहा है. इससे भी कोर्ट पर दबाव बढ़ने लगा है.

एनडीपीएस मामलों में आई बेतहाशा वृद्धि, युवा वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित

अधिवक्ता ने एनडीपीएस एक्ट से जुड़े मामलों पर विस्तृत जानकारी साझा की. कहा कि शराबबंदी कानून लागू होने के बाद न्यायालयों में एनडीपीएस मामलों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है. बताया कि पहले की तुलना में अब कोर्ट में ऐसे मामले लगभग दस गुना अधिक आ रहे हैं. उन मामलों में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि अधिकतर आरोपित युवा वर्ग के होते हैं, जिनकी उम्र बेहद कम होती है. कहा कि स्मैक और मेडिकल नशे की प्रवृत्ति तेजी से बढ़ी है, जिससे समाज पर बुरा असर पड़ रहा है.

ट्रायल में देरी भी बड़ी समस्या

अधिवक्ता ने बताया कि निचली अदालतों में कई ऐसे मामले वर्षों से लंबित हैं, जिनका ट्रायल या तो वादी पक्ष या फिर प्रतिवादी की अनुपस्थिति के कारण लंबा खींचता जा रहा है. कहा कि यदि पुलिस कार्रवाई करे और कोर्ट में समयबद्ध ट्रायल हो, तो ऐसे मामलों का शीघ्र निपटारा संभव है. उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि एनडीपीएस मामलों के लिए एक अलग तंत्र विकसित करने की आवश्यकता है, ताकि समाज को नशे की बढ़ती प्रवृत्ति से बचाया जा सके और युवाओं का भविष्य अंधकारमय होने से रोका जा सके.

समाधान की ओर पहल जरूरी

काउंसलिंग के दौरान मौजूद अन्य कानूनी विशेषज्ञ ने सहमति जताते हुए कहा कि प्रशासन, पुलिस और न्यायालय के संयुक्त प्रयास से ही गंभीर समस्या का समाधान संभव है. साथ ही समाज में जागरूकता फैलाना भी अत्यंत आवश्यक है, ताकि युवाओं को नशे के दुष्परिणामों से अवगत कराया जा सके.

परिवाद पत्र भी ज्यादा हो रहे –

अधिवक्ता ने बताया कि हाल के दिनों में परिवाद पत्र भी ज्यादा हो रहे है. इसका नतीजा है कि मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट में प्रतिदिन 15 से 25 मामले दाखिल हो रहे है. इसमें ज्यादातर दहेज अधिनियम से जुड़ा मामला है. हालांकि, इसमें कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिसमें दोनों पक्ष आपस में बैठक समझौता कर ले, तो कोर्ट तक मामला नहीं पहुंच पायेगा, लेकिन लड़की-लड़का पक्ष इगो को लेकर कोर्ट में पहुंच जाते हैं.

सवाल

1. पॉक्सो मामले में उनके खिलाफ गवाह नहीं है. फिर भी केस चल रहा है.

रंजन कुमार वर्णवाल, चानन, बांका

जवाब – पीड़ित की गवाही होने से केस दर्ज किया गया है. कोर्ट ही मामले में फैसला सुनायेगा.

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2. बेटी को मारपीट कर सुसराल से भगा दिया. साथ ही केस कर दिया.

अरविंद कुमार सिंह, सनोखर

उत्तर – सीजीएम कोर्ट में बेटी के साथ मारपीट करने व प्रताड़ित करने का मामला दर्ज कराये. कोर्ट से न्याय मिलेगा.

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3. कोर्ट से डिग्री मिलने के बाद भी क्लेम राशि का भुगतान नहीं हुआ.

रंजीत रंजन दुबे, चानन, बांका

जवाब – मामले में फिर से कोर्ट में याचिका दायर करे. न्यायालय से न्याय मिलेगा.

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4. पैसा देने के बाद जमीन लिखने के लिए तैयार नहीं है.

घनश्याम राय, दरियापुर शाहकुंड

उत्तर – जमीन का एग्रीमेंट आपके पास है. संबंधित लोग को लीगल नोटिस भेज कर 15 दिन के समय दें. इसके बाद भी जमीन नहीं लिखते है, तो कोर्ट के शरण में जाये.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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