भागलपुर शहर और इसके आसपास भू-माफियाओं के बीच इस बात को लेकर हड़कंप मच गया है कि उनके इलाके में पटना और भागलपुर के अधिकारियों की कई टीमें घूम रही हैं. सोमवार और मंगलवार को टीमों ने सबौर, गोराडीह, जगदीशपुर व नाथनगर इलाके में हुई प्लॉटिंग और निर्माणाधीन अपार्टमेंट की प्रारंभिक जांच की है. इनकी रिपोर्ट भी तैयार की गयी है. आगे इनकी कुंडली खंगाली जायेगी, जिसके लिए संबंधित सभी विभाग की मदद ली जायेगी. बिजली विभाग इस बात की रिपोर्ट देगा कि कनेक्शन किसके नाम से है. निगम यह रिपोर्ट देगा कि नक्शा किसके नाम से पास हुआ है. वहीं संबंधित सीओ यह रिपोर्ट देंगे कि अमुक जमीन का ब्योरा क्या है. इसमें कानून को ताक पर रख जमीन व फ्लैट बिक्री करनेवाले पकड़ में आ जायेंगे और फिर कानूनी कार्रवाई की जायेगी.
क्यों की जा रही है कार्रवाई
भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण (रेरा) के तहत बिहार में भू-संपदा (रियल एस्टेट) क्षेत्र को धोखाधड़ी और भ्रम से मुक्त बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. रेरा ने अब सभी पंजीकृत एजेंटों को भी पहचान के लिए क्यूआर कोड देना शुरू कर दिया है. इससे पहले यह सुविधा केवल पंजीकृत परियोजनाओं (प्रोजेक्ट्स) को ही दी गयी थी. प्राधिकरण ने जनता से अपील की है कि वे भू-संपदा अधिनियम की जानकारी लें और ठगी से बचने के लिए रेरा द्वारा जारी की गयी सूचनाओं का लाभ उठाएं. यह समझना जरूरी है कि परियोजना का पंजीकरण और एजेंट का पंजीकरण दो अलग चीजें हैं. एजेंट केवल रेरा-पंजीकृत परियोजनाओं में बिक्री का कार्य कर सकता है. वह अपनी परियोजना नहीं बना सकता है.
बिक्री के लिए चिह्नित जमीन का पता लगायेगा रेरा
जिलाधिकारी डॉक्टर नवल किशोर चौधरी की अध्यक्षता में उनके कार्यालय कक्ष में मंगलवार को रेरा के सचिव आलोक कुमार व रेरा के अन्य पदाधिकारियों के साथ बैठक हुई. रेरा की टीम ने बताया कि उनके द्वारा गोराडीह, सबौर और जगदीशपुर में बन रहे कई अपार्टमेंट व किये गये भूमि प्लॉटिंग का सर्वे किया गया. निबंधन कार्यालय व अंचल कार्यालय से जमीन मालिक का पता, खेसरा व खाता नंबर प्राप्त होने पर उनके विरुद्ध नोटिस व अन्य कार्रवाई की जायेगी. शहरी क्षेत्र के सभी अपार्टमेंट या प्लॉटिंग कर बिकने वाली भूमि का निबंधन रेरा से होना अनिवार्य है. जिलाधिकारी ने कहा कि रेरा की टीम को भी जमीन मालिक का पता लगाने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा. इसके लिए बिजली विभाग से भी मदद ली जा सकती है. बिजली विभाग की सहायता के बिना कोई भी मकान का निर्माण कार्य नहीं होता है. अगर रेरा से उनका निबंधन नहीं पाया जाता है, तो बिजली कटवा दिया जायेगा. इसके साथ ही उन्होंने रेरा को नगर विकास व आवास विभाग से समन्वय स्थापित कर बिना निबंधन के बना रहे अपार्टमेंट पर कार्रवाई करने का सुझाव दिया.
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